160 साल पुरानी परंपरा पर रोकः विश्व प्रसिद्ध  बांकेबिहारी में देहरी पूजन व जगमोहन गेट बंद

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आम भक्तों को किया दूर 

 

  नेशनल डेस्क:

विश्व प्रसिद्ध बांकेबिहारी मंदिर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित उच्चाधिकार प्रबंधन समिति की कथित गुंडागर्दी कारण फिर सुर्खियों में है। इस बार इस समिति ने अपनी हदें पार करते हुए  सैंकड़ों साल पुरानी पर ही प्रहार कर दिया जिससे पूरी दुनिया के कृष्ण प्रेमी श्रद्धालुओं में रोष फैल गया है। जानकारी के अनुसार  जगमोहन (गर्भ गृह चबूतरा) में प्रवेश पर उच्चाधिकार प्रबंधन समिति की रोक के निर्णय के बाद शनिवार को सैंकड़ों साल बाद पहली बार मंदिर में देहरी पूजन नहीं हो सका। समिति ने  जगमोहन का गेट बंदकर उस पर चढ़ने पर भी रोक लगा दी जिसका सेवायतों ने इसका कड़ा विरोध किया। प्रबंधन समिति के चार में से दो सेवायत भी विरोध में शामिल रहे। सेवायतों का कहना है कि समिति का काम व्यवस्था बनना है, न कि व्यवस्था रोकना। देहरी पूजन एक पुरानी परंपरा है। इस पर रोक लगाकर धार्मिक कार्यकलापों से छेड़छाड़ की जा रही है। मंदिर में विरोध करने के बाद सेवायतों ने जिलाधिकारी से मिलकर अपनी बात रखी। मंदिर की व्यवस्थाओं की देखरेख के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित उच्चाधिकार प्रबंधन समिति ने भीड़ नियंत्रण के लिए गुरुवार को जगमोहन क्षेत्र में प्रवेश बंद करने का निर्णय लिया। रात ही जगमोहन के आसपास बैरिकेडिंग लगा दी गई।

 
 
जगमोहन के सामने वीआइपी कटघरा पांच गुणा बढ़ा दिया गया। जगमोहन में ही देहरी पूजन किया जाता है। यह परंपरा काफी पुरानी है। शनिवार सुबह पौने नौ बजे जब सेवायत यजमानों को लेकर पहुंचे तो उन्हें जगमोहन पर चढ़ने से रोक दिया गया। इसका सेवायतों ने जमकर विरोध किया। मंदिर के मुख्य  सेवायत अनंत गोस्वामी के अलावा संयम गोस्वामी,  शैलेंद्र गोस्वामी, श्रीवर्धन गोस्वामी, बब्बू गोस्वामी आदि ने एक स्वर में कहा कि यह मंदिर की मूल सेवा पद्धति से छेड़छाड़ है।

 
कोर्ट की शरण में जाने को तैयार गोस्वामी समुदाय 
मंदिर में 20 मिनट विरोध जताने के बाद सेवायत डीएम में मिलने मथुरा पहुंचे। डीएम ने सेवायतों का अहित न होने देने का भरोसा दिया। सेवायतों का कहना है कि यदि व्यवस्था बहाल नहीं हुई तो उन्हें कोर्ट की शरण लेनी पड़ेगी। अनंत गोस्वामी व  विजय कृष्ण गोस्वामी ने आशंका जताई कि लगता नहीं कि देहरी पूजन परंपरा दोबारा चालू हो सकेगी। श्रीवर्धन गोस्वामी ने कहा कि सेवायत किसी भी सही व्यवस्था का समर्थन करते हैं, लेकिन यह निर्णय अधिकार समाप्त करने वाला लगता है।

समिति के सदस्य दिनेश गोस्वामी का कहना है कि व्यवस्था ऐसी हो, जिससे श्रद्धालुओं को सुगम दर्शन हो सके। वीआइपी कटघरे का आकार बढ़ा है तो वीआइपी पर्ची सुविधा बहाल की जानी चाहिए, ताकि भीड़ संतुलित रहे। बैरिकेडिंग लगने से पुरुष महिला दोनों कटघरे खत्म हो गए हैं।  भीड़ को रोका नहीं गया और मंदिर के अंदर जगह कम होने के कारण शनिवार को धक्कामुक्की की स्थिति बन गई। जिलाधिकारी सीपी सिंह का कहना है कि उच्चाधिकार प्रबंधन समिति ने जो नई व्यवस्थाएं लागू की हैं, उन पर सेवायतों ने आपत्ति जताई है। उच्चाधिकार प्रबंधन समिति श्रद्धालुओं के हित में कार्य करती रहेगी। ध्यान रखा जाएगा कि सेवायतों का भी अहित न हो। 


मंदिर निर्माण के साथ ही शुरू हुई देहरी पूजन की परंपरा

सेवायतों का दावा है कि देहरी पूजन की परंपरा 1864 में मंदिर निर्माण के साथ ही शुरू हो गई थी। शुरूआत में सेवायत परिवारों की वृद्ध माताएं ही देहरी पूजन करती थीं। बाद में सेवायत के यजमान भी करने लगे। वरिष्ठ सेवायत चुन्नीलाल, श्रीगोपाल गोस्वामी ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया। भक्तों की संख्या बढ़ने के साथ पिछले पांच-छह दशक में यह परंपरा काफी लोकप्रिय हो गई। इस परंपरा ही एक कड़ी स्वामी हरिदास से भी जुड़ती है। स्वामी हरिदास के समय में अकबर द्वारा लाया गया इत्र भी ठाकुरजी की देहरी पर अर्पित कराया गया था।

 


सेवायत बोले-बिहारीजी के दर्शन दूर से नहीं  होने चाहिए भक्त


देहरी पूजन रोकना वृंदावन  मंदिर की परंपरा पर सबसे बड़ा प्रहार है और हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे। रस्से और बैरिकेडिंग से भक्तों को दूर करना गलत व्यवस्था है। समिति चाहे तो दर्शन बंद करा दे, लेकिन परंपरा नहीं रुकने देंगे।      
                                                                                                                            मनोज कुमार गोस्वामी 
 


कमेटी मंदिर के अंदर अव्यवस्था फैला रही है। अब  महिलाएं और पुरुष  एक जगह कर दिए।  पानी- शौचालय की व्यवस्था शून्य, टोकन दर्शन हैं नहीं। बागेश्वर पीठाधीश्वर को दर्शन न करा पाने का  दोष सेवायतों पर क्यों रखा जा रहा है। यह शासन-प्रशासन और समिति की जिम्मेदारी थी। देहरी पूजन रोकना भक्त और परंपरा दोनों का अपमान है।   
                                                                                                                                        अनंत गोस्वामी

 

उच्च प्रबंधन समिति की बैठक में महिलाओं के  सामने मर्यादा भंग हुई, लेकिन किसी ने पर कार्रवाई नहीं हुई.. न चेतावनी, न लिखित नोटिस । समिति कुछ लोगों को कि इतनी छूट क्यों दे रही है कि वे ऊट- ओं पटांग बोलकर भी बच जाते हैं। समिति की बैठक में मर्यादा और अनुशासन नहीं बरे बचा तो फिर कहां बचेगा।                    
                                                                                                                                        संयम गोस्वामी

 

आम श्रद्धालु पहले पास से दर्शन करता था, अब 25 फीट दूर से कर रहा है। शृंगार और भावनाएं दोनों धुंधली हो रहीं । वीआइपी सुविधा बढ़ाई गई, लेकिन मंदिर की आय और भक्तों की सुविधा घट गई। यह व्यवस्था न व्यावहारिक है न न्यायसंगत ।  
                                                                                                                        नितिन सांवरिया गोस्वामी

Edited By: Jagdeep

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