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शिक्षा क्रांति के दावों की पोल खुली: होशियारपुर में महीनों से खाली हैं ज़िला शिक्षा अधिकारी के अहम पद
शिक्षा विभाग में स्टाफ की भारी कमी, प्रशासनिक कार्यों पर पड़ा असर

जानकारी के अनुसार, इस पद पर तैनात अधिकारी को निलंबित किए जाने के बाद उसे पेंडिंग इंक्वायरी के चलते कपूरथला भेज दिया गया। तब से लेकर अब तक इस पद पर किसी की नियुक्ति नहीं की गई है।
राजेंद्र मैडी। होशियारपुर : पंजाब सरकार ने बीते एक महीने के दौरान ‘शिक्षा क्रांति’ नामक एक विशेष मुहिम चलाई, जिसके अंतर्गत आम आदमी पार्टी के मंत्री, विधायक, सांसद और हलका इंचार्ज प्रदेश के विभिन्न स्कूलों में जाकर वहां हुए विकास कार्यों का उद्घाटन करते रहे। इन कार्यक्रमों में बाकायदा मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री तथा संबंधित जनप्रतिनिधियों के नाम वाले उद्घाटन पत्थर भी लगाए गए। इसके अतिरिक्त, स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों को सम्मानित कर सरकार ने इसे जनसंपर्क और प्रचार का माध्यम बना लिया।
लेकिन इस प्रचार के शोर के बीच हकीकत कुछ और ही तस्वीर पेश कर रही है। जिले में जिला शिक्षा अधिकारी (एलीमेंट्री) का पद कई महीनों से रिक्त पड़ा है। जानकारी के अनुसार, इस पद पर तैनात अधिकारी को निलंबित किए जाने के बाद उसे पेंडिंग इंक्वायरी के चलते कपूरथला भेज दिया गया। तब से लेकर अब तक इस पद पर किसी की नियुक्ति नहीं की गई है। फिलहाल इस पद की जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी (सेकेंडरी) को ही दे दी गई है।
यही नहीं, 1 अप्रैल से उप जिला शिक्षा अधिकारी (एलीमेंट्री) का पद भी खाली है। इस पद पर तैनात अधिकारी सुखविंदर सिंह के सेवानिवृत्त होने के बाद अब तक उनका स्थान नहीं भरा गया है। ऐसे में शिक्षा विभाग की प्राथमिक शाखा की जिम्मेदारी भी सेकेंडरी विंग के अधिकारी के कंधों पर आ गई है, जिससे कार्य का अत्यधिक दबाव बना हुआ है।
उल्लेखनीय है कि जिले में आम आदमी पार्टी के चार विधायक, एक सांसद, एक कैबिनेट मंत्री और डिप्टी स्पीकर जैसे प्रमुख नेता होने के बावजूद ये पद खाली पड़े हैं। जबकि केवल मुकेरियां सीट से भाजपा का विधायक है, बाकी छह विधानसभा सीटों पर आम आदमी पार्टी के विधायक हैं। मुकेरियां में भी आम आदमी पार्टी का हलका इंचार्ज सक्रिय है।
विभाग द्वारा 'समरथ' प्रोजेक्ट और एनरोलमेंट ड्राइव चलाई जा रही है, जिसके तहत रोजाना स्कूलों के निरीक्षण के निर्देश भी दिए गए हैं। ऐसे में एक ही अधिकारी द्वारा प्राइमरी और सेकेंडरी दोनों स्तरों की निगरानी करना चुनौतीपूर्ण हो गया है।
इसके अलावा, स्कूलों में किताबों की आपूर्ति भी पूरी नहीं हो सकी है। कुछ किताबें अभी तक भेजी ही नहीं गईं, जिससे पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
ऐसे में यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या शिक्षा क्रांति केवल उद्घाटन तक सीमित रह गई है या सरकार वास्तव में शिक्षा ढांचे को मजबूत करने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है?