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हरियाणा में पुलिसकर्मियों की आत्महत्याओं में चौंकाने वाली समानताएँ
— ‘फाइनल नोट’, सिर में गोली, कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं

नेशनल डेस्क .
चंडीगढ़ — हरियाणा में हाल के दिनों में दो पुलिसकर्मियों की आत्महत्याओं ने पूरे राज्य में चिंता और सुर्खियाँ पैदा कर दी हैं। पहले वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और फिर एक एएसआई द्वारा की गई इन घटनाओं में कई समानताएँ सामने आई हैं। दोनों ने अपने ‘फाइनल नोट’ छोड़े, सिर में गोली मारी और कोई प्रत्यक्षदर्शी मौजूद नहीं था।
घटना क्रम
7 अक्टूबर को वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरण कुमार अपने सरकारी निवास पर मृत पाए गए। उनके पास लंबा सुसाइड नोट था, जिसमें उन्होंने मानसिक तनाव और कुछ वरिष्ठ अधिकारियों से जुड़े विवादों का जिक्र किया। पुलिस ने बताया कि यह नोट काफी विस्तार से लिखा गया था और इसमें व्यक्तिगत और विभागीय मुद्दों का विवरण था।
इसके बाद रोहतक जिले में एक असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर ने अपने सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मार ली। घटनास्थल से तीन-पन्नों का फाइनल नोट और वीडियो क्लिप मिली, जिसमें उन्होंने विभाग में उत्पीड़न, भ्रष्टाचार और मानसिक दबाव के आरोप लगाए।
दोनों ही मामलों में गोली सिर में लगी थी और कोई प्रत्यक्षदर्शी मौजूद नहीं था, जिससे जांच एजेंसियों के लिए परिस्थितियों को स्पष्ट करना चुनौतीपूर्ण हो गया।
जांच और प्रशासनिक कदम
हरियाणा पुलिस और विशेष जांच टीम (SIT) ने दोनों मामलों की जांच शुरू कर दी है। राज्य सरकार ने इन घटनाओं की संवेदनशीलता को देखते हुए निष्पक्ष और पारदर्शी जांच के आदेश दिए हैं। परिजनों ने भी सीबीआई जांच की मांग की है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की आत्महत्याओं के पीछे विभागीय तनाव, मानसिक दबाव और कार्य-संस्कृति जैसी जटिल परिस्थितियाँ हो सकती हैं। पुलिस विभाग ने भी आंतरिक समीक्षा शुरू कर दी है और तनाव प्रबंधन तथा मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने के निर्देश दिए हैं।
समाज और राजनीतिक प्रतिक्रिया
इन घटनाओं के बाद स्थानीय समुदाय, खाप पंचायत और राजनीतिक दलों ने निष्पक्ष जांच की मांग की है। कई रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि फाइनल नोट्स में उठाए गए आरोप प्रशासन और सरकार के लिए गंभीर संकेत हैं।
निष्कर्ष
दोनों घटनाओं में समान पैटर्न — फाइनल नोट, सिर में गोली, कोई प्रत्यक्षदर्शी न होना — पुलिस विभाग की कार्य-संस्कृति और मानसिक दबाव पर गंभीर सवाल उठाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि आत्महत्या जैसे संवेदनशील मामलों में त्वरित, निष्पक्ष और पारदर्शी जांच, साथ ही मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता, आवश्यक है।
राज्य सरकार ने आश्वासन दिया है कि जांच पूरी पारदर्शिता के साथ होगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।