- Hindi News
- स्पेशल खबरें
- चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने वाले पत्रकार अजीत अंजुम पर FIR, आलोचना तेज़
चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने वाले पत्रकार अजीत अंजुम पर FIR, आलोचना तेज़
13 जुलाई को रिपोर्ट के बाद बढ़ा विवाद, क्या आयोग आलोचना बर्दाश्त नहीं कर पा रहा?

न्यूज डेस्क । नई दिल्ली: वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम के ख़िलाफ़ FIR दर्ज होने के बाद मीडिया और सिविल सोसाइटी में तीखी प्रतिक्रिया देखी जा रही है। बताया जा रहा है कि अंजुम ने रविवार, 13 जुलाई को अपने एक विशेष कार्यक्रम में उन तमाम पहलुओं को उजागर किया था जिन्हें भास्कर के करीब 100 रिपोर्टरों की टीम ने बिहार और अन्य राज्यों में चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली की पड़ताल में सामने लाया था।
अजीत अंजुम ने दिखाया कि किस तरह कई जगहों पर BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) मतदाताओं को जरूरी दो फॉर्म नहीं दे रहे, जबकि आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार एक फॉर्म मतदाता द्वारा भरकर BLO को दिया जाना चाहिए और दूसरा रसीद के तौर पर मतदाता के पास रहना चाहिए। बिहार के अनेक हिस्सों से शिकायतें मिली हैं कि मतदाताओं को यह रसीद नहीं मिल रही।
इतना ही नहीं, अजीत अंजुम ने "विदेशी वोटर" का मुद्दा भी उठाया, जो हाल ही में कुछ मीडिया रिपोर्टों में कथित सूत्रों के हवाले से उछाला गया था। लेकिन अंजुम ने बताया कि खुद चुनाव आयोग ने 2019 में कहा था कि पूरे देश में एक भी विदेशी मतदाता नहीं मिला।
अब सवाल उठ रहे हैं कि जब एक पत्रकार जमीनी रिपोर्टिंग और दस्तावेजों के आधार पर सच्चाई सामने लाता है, तो क्या उसकी आवाज़ को दबाने के लिए FIR का सहारा लिया जाना चाहिए?
मीडिया संगठनों और कई वरिष्ठ पत्रकारों ने इस कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा है कि चुनाव आयोग को आत्ममंथन करना चाहिए, न कि पत्रकारों को डराने की कोशिश।
यह मामला अब प्रेस की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता से जुड़ गया है, और उम्मीद की जा रही है कि आयोग इस पर संतुलित प्रतिक्रिया देगा।