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"बांकेबिहारी मंदिर पर सियासत नहीं सहेंगे – हाईकोर्ट का सरकार को दो टूक जवाब"

National Desk। वृंदावन । वृंदावन के प्रसिद्ध बांकेबिहारी मंदिर से जुड़ी व्यवस्थाओं को लेकर लाए गए उत्तर प्रदेश सरकार के अध्यादेश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है । मामले की सुनवाई करते हुए माननीय न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने सरकार की मंशा पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए कहा कि “अध्यादेश की आड़ में सरकार मंदिर पर कब्ज़ा करना चाह रही है। आप भगवान के नाम पर वोट मांगते हैं और अब उन्हीं की संपत्तियों पर भी कब्ज़ा करना चाहते हैं।”
👉 कोर्ट की मौखिक टिप्पणियों के मुख्य बिंदु:
"अध्यादेश वापिस लेना ही सरकार के हित में है" जज ने टिप्पणी की कि यदि सरकार अध्यादेश को वापस ले, तो वही उचित होगा। "सरकार का काम सड़क, बिजली और पानी तक सीमित रहना चाहिए। मंदिरों की व्यवस्थाएं सरकार का दायित्व नहीं हैं।" कोर्ट ने कहा कि सरकार मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान नहीं दे रही, लेकिन मंदिर की आय पर नजर गड़ाए हुए है।
"बिजली-पानी नहीं संभाल पा रहे, और अब मंदिर का पैसा खाना चाहते हैं।"
👉 "IAS लॉबी और स्थानीय प्रशासन जिम्मेदार"
कोर्ट ने मथुरा में कार्यरत प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाए। "IAS लॉबी बेहतर व्यवस्था के लिए काम करे, न कि खुद अव्यवस्थाएं फैलाए। व्यवस्थाओं को प्रशासन खुद बिगाड़ रहा है ।"
👉 "भगवान के नाम पर राजनीति बंद हो"
कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा: “भगवान के नाम पर वोट मांगना और फिर उन्हीं की संपत्तियों को हथियाना, ये दोहरी नीति है।” कोर्ट ने मंदिरों की संपत्तियों पर अवैध कब्ज़ों, अव्यवस्थाओं और दुर्दशा पर गहरी नाराजगी जताई।
👉 अगली सुनवाई 26 अगस्त को
इस गंभीर टिप्पणी के बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 26 अगस्त निर्धारित की है। बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में एक अध्यादेश के ज़रिए वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर समेत कई बड़े धार्मिक स्थलों की प्रशासनिक व्यवस्था अपने हाथों में लेने का प्रस्ताव रखा था। सरकार का दावा था कि इससे श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन संत समुदाय, ट्रस्ट और स्थानीय भक्तों ने इसे मंदिरों की स्वायत्तता पर हमला बताया।
अब अदालत ने भी स्पष्ट संकेत दे दिया है कि सरकार की मंशा धार्मिक व्यवस्था संभालने की बजाय उस पर नियंत्रण स्थापित करने की लगती है।