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मेडिकल कॉलेजों में भ्रष्टाचार का जाल, सीबीआई की बड़ी कार्रवाई

नई दिल्ली – देश में मेडिकल शिक्षा से जुड़ा अब तक का सबसे बड़ा घोटाला सामने आया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने एक संगठित रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए 34 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। आरोपियों में पूर्व यूजीसी चेयरमैन प्रो. डी.पी. सिंह, स्वयंभू बाबा रविशंकर महाराज, स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, निजी मेडिकल कॉलेज संचालक और एजेंट शामिल हैं।
सीबीआई के अनुसार, आरोपी कॉलेजों को निरीक्षण से पहले सूचना देते थे, जिससे संस्थानों को फर्जी फैकल्टी, नकली मरीज और जाली दस्तावेज दिखाकर नियमों के विरुद्ध मान्यता मिलती रही।
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🧾 CBI की कार्रवाई – एक नज़र में (इन्फोग्राफिक सेक्शन)
🔍 34 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज
🏛️ 3 राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के डॉक्टर गिरफ्तार
💰 ₹55 लाख रिश्वत की राशि का खुलासा
📁 कई फर्जी दस्तावेज और डिजिटल सबूत बरामद
🕵️♂️ देशभर में एक साथ छापेमारी
📆 घटना: 2022–2024 के बीच मेडिकल इंस्टीट्यूट इंस्पेक्शन प्रक्रिया में गड़बड़ी
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👥 प्रमुख आरोपी – प्रोफाइल बॉक्स
नाम पद/पहचान आरोप
प्रो. डी.पी. सिंह पूर्व यूजीसी चेयरमैन निरीक्षणों में हेराफेरी और कॉलेजों को अनुचित मान्यता दिलाने में भूमिका
रविशंकर महाराज स्वयंभू बाबा, रावतपुरा सरकार संस्थान रिश्वत के जरिए कॉलेज को गलत मान्यता दिलाने का आरोप
एस. एस. भदौरिया संचालक, इंडेक्स मेडिकल कॉलेज CBI के अनुसार, प्रमुख समन्वयक व लाभार्थी
मयूर रावल Gitanjali University के रजिस्ट्रार निरीक्षण से पहले अंदरूनी सूचना देने का आरोप
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🎓 शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल
इस घोटाले ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि जब नियामक संस्थाएं ही मिलीभगत में शामिल हों, तो शिक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता कैसे संभव है। छात्रों के भविष्य और चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता से यह खेल देशहित के लिए खतरे की घंटी है।
CBI की कार्रवाई से साफ है कि अब उच्च शिक्षा के नाम पर चल रहे भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसने की शुरुआत हो चुकी है। एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि आगे और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं।