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बथानी टोला नरसंहार: 21 मासूमों की चीखें, 53 आरोपी बरी – न्याय अब भी अधूरा

नेशनल डेस्क
पटना (बिहार)
बिहार के बक्सर ज़िले के बथानी टोला गांव में 11 जुलाई 1996 को हुआ नरसंहार आज भी राज्य के इतिहास की सबसे भयावह और अमानवीय घटनाओं में गिना जाता है। इस नरसंहार में दलित और मुस्लिम समुदाय के 21 लोगों की हत्या कर दी गई थी, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमलावरों ने गांव में घुसकर महिलाओं के साथ पहले दुष्कर्म किया, कई के स्तन काट दिए और बच्चों को हवा में उछालकर तलवार से काट डाला। यह दृश्य पूरे गांव के लिए एक खौफ़नाक याद बनकर रह गया।
घटना के बाद पुलिस ने रणवीर सेना के 53 लोगों को आरोपी बनाया। 2010 में निचली अदालत ने 23 दोषियों को उम्रकैद और 3 को मौत की सज़ा सुनाई थी, लेकिन 2012 में पटना हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में सभी को बरी कर दिया।
करीब 29 साल बाद भी पीड़ित परिवार न्याय की आस में भटक रहे हैं। सामाजिक संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह मामला न केवल न्याय व्यवस्था की सुस्ती बल्कि जातीय हिंसा के पीड़ितों के प्रति संवेदनशीलता की कमी को भी उजागर करता है।
मानवाधिकार संगठनों ने सरकार से इस मामले की दोबारा सुनवाई और दोषियों को कड़ी सज़ा देने की मांग की है।