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“वकील साहब” की पाठशाला: जिसने नरेंद्र मोदी को बनाया ‘मोदी’

जनगाथा विशेष .
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीवनयात्रा को समझने के लिए उनके गुरु और मार्गदर्शक लक्ष्मणराव इनामदार – जिन्हें संघ में ‘वकील साहब’ कहा जाता था – को जानना जरूरी है। यही वह व्यक्ति थे जिन्होंने मोदी जैसे साधारण बालक के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के दरवाजे खोले और अनुशासन, संगठन व त्याग का पाठ पढ़ाया।
👉 एक गांव से शुरू हुई कहानी
1917 में महाराष्ट्र के खाटव गांव में जन्मे लक्ष्मणराव इनामदार ने पुणे विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया। 1943 में वकालत के साथ-साथ उन्होंने RSS की शाखाओं में सक्रिय भूमिका निभाई। गुजरात में प्रांत प्रचारक रहते हुए उन्होंने संघ को जमीनी स्तर तक मजबूत किया।
👉 मोदी से मुलाक़ात और नई दिशा
1960 के दशक में वडनगर के एक युवा, नरेंद्र मोदी, पहली बार इनामदार से मिले। इनामदार के तेज-तर्रार व्यक्तित्व और प्रभावी भाषणों ने मोदी को आकर्षित किया। अहमदाबाद में हेडगेवार भवन में रहते हुए मोदी ने गुरु के सान्निध्य में कार्य किया – सफाई, भोजन, शाखा की तैयारी, और प्रचारकों की सेवा जैसे काम करते हुए उन्होंने संगठन का व्यावहारिक पाठ सीखा।
👉 RSS में प्रवेश और शिक्षा के लिए प्रेरणा
इनामदार ने 1972 में मोदी को संघ का प्रचारक बनाया और साथ ही उन्हें राजनीति विज्ञान में स्नातक करने के लिए प्रेरित किया। जीवन में अनुशासन और पढ़ाई-लिखाई दोनों को बराबर महत्व देने का यही संस्कार आगे चलकर मोदी के व्यक्तित्व की पहचान बना।
👉 इमरजेंसी में गुरू-शिष्य साथ
1975-77 की इमरजेंसी में RSS पर प्रतिबंध लगा तो दोनों भूमिगत हो गए। disguise बदलकर कार्यकर्ताओं को संभालने की रणनीति बनाना, बैठकें करना और पुलिस से बचते हुए संगठन को चलाना – इस दौर ने मोदी को संकट प्रबंधन और जोखिम उठाने का सबक दिया।
👉 आख़िरी दौर और विरासत
कैंसर से जूझते हुए 1984 में लक्ष्मणराव इनामदार का निधन हो गया। मोदी ने उनकी डायरी और नोट्स संभाले और सार्वजनिक रूप से कई बार कहा कि गुरु के जाने के बाद उन्होंने अपनी सबसे बड़ी सलाह देने वाली आवाज़ खो दी।
👉 आज के प्रधानमंत्री पर प्रभाव
आज जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के रूप में निर्णायक और अनुशासित नेतृत्व की पहचान बने हैं, तो उसमें ‘वकील साहब’ की छवि स्पष्ट दिखाई देती है – संगठन की गहराई, सादगी, कठिन परिस्थितियों में निर्णय लेने की क्षमता और राष्ट्र सेवा का भाव।
साभार – [india today]