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सिरदर्द नहीं सिर्फ सिरदर्द: महिलाओं की सबसे बड़ी परेशानी – माइग्रेन

माइग्रेन एक आम लेकिन गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्या है, जो महिलाओं में पुरुषों की तुलना में कहीं अधिक पाई जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं में माइग्रेन के मामले 18% तक हैं, जबकि पुरुषों में यह लगभग 6% तक ही सीमित रहता है।
👉माइग्रेन के कारण
माइग्रेन के पीछे कई कारण हो सकते हैं। महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तन, जैसे मासिक धर्म, गर्भावस्था या रजोनिवृत्ति, माइग्रेन के सबसे बड़े ट्रिगर्स माने जाते हैं। इसके अलावा तनाव, नींद की कमी, कुछ खाद्य पदार्थ और अत्यधिक स्क्रीन समय भी इसे बढ़ावा दे सकते हैं।
👉लक्षण
माइग्रेन आमतौर पर सिर के एक तरफ तेज दर्द, उल्टी, चक्कर और रोशनी या ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता के साथ प्रकट होता है। कुछ लोगों में इसे “औरा” नामक लक्षण भी होते हैं, जिसमें धुंधली दृष्टि, झिलमिलाहट या संवेदनाओं में बदलाव महसूस होता है।
👉प्रभाव
माइग्रेन न केवल शारीरिक दर्द देता है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालता है। लगातार माइग्रेन होने से कामकाजी जीवन, पढ़ाई और सामाजिक जीवन प्रभावित होता है। महिलाओं में यह समस्या रोजमर्रा की गतिविधियों में बाधा डाल सकती है और जीवन की गुणवत्ता को गंभीर रूप से कम कर देती है।
👉समाधान और सावधानियां
माइग्रेन का स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। डॉक्टर आमतौर पर दर्द निवारक दवाएं, हार्मोनल उपचार और जीवनशैली में बदलाव की सलाह देते हैं। माइग्रेन से बचने के लिए पर्याप्त नींद, नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और तनाव कम करने वाली तकनीकों का पालन करना आवश्यक है।
विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं को माइग्रेन के लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और समय पर चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। शुरुआती पहचान और उपचार से इस समस्या का असर काफी हद तक कम किया जा सकता है।