कंज्यूमर फोरम ने मर्सिडीस डीलर को 33 लाख 35 हजार 530 रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया

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    जालंधर (जनगाथा टाइम्स ) जालंधर में कंज्यूमर कोर्ट ने एक कंज्यूमर को राहत देते हुए मोटर व्हीकल डीलर फर्म को 33 लाख 35 हजार रुपए मुआवजा भरने के आदेश दिए हैं। केस के मुताबिक डीलर ने मर्सिडीस बेचने के बाद रोड टैक्स नहीं भरा था। फिर एक हादसे में गाड़ी के एयरबैग नहीं खुले और बाद में बीमा भी रिजेक्ट कर दिया गया। इसके बाद मामला कंज्यूमर कोर्ट में पहुंचा।

    टोटल लाॅस होने पर तरनबीर सिंह ने बीमा कंपनी बजाज एलायंस से क्लेम मांगा तो कंपनी ने यह कहकर रिजेक्ट कर दिया कि कार की पक्की रजिस्ट्रेशन नहीं है। फोकल पॉइंट में हैंडटूल इंडस्ट्री चलाने वाले तरनबीर सिंह ने उपभोक्ता फोरम में केस कर कहा कि गाड़ी खरीदते वक्त उन्होंने रोड टैक्स के पैसे डीलर को दे दे दिए थे। डीलर ने गाड़ी के पक्के नंबर की सेवा उपलब्ध नहीं करवाई जिस कारण नुकसान के लिए वही जिम्मेदार है। तीन साल तक चले केस में कारोबारी की दलीलों से सहमत होते हुए कंज्यूमर फोरम ने डीलर को 33 लाख 35 हजार 530 रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है।

    डीलर को एक महीने में जमा करवाना था रोड टैक्स: 24 फरवरी 2016 में शुरू हुई केस की सुनवाई 27 फरवरी को खत्म हुई। तरनबीर सिंह ने मर्सिडीज कंपनी, बजाज एलायंस बीमा कंपनी व लास एसेसमेंट सर्वेयर राजेश खन्ना को भी पार्टी बनाया था। बाद में सुनवाई केवल तरनबीर सिंह और मर्सिडीज डीलर जोशी ऑटो जोन, जालंधर के बीच चली। उपभोक्ता ने कहा कि कार के लिए 36,46,595 रुपए के अलावा रोड टैक्स के 2,95,000 रुपए चेक के रूप में एडवांस दिए थे।

    डीलर ने टेंपरेरी नंबर पीबी-08-(टेंप) सीई-5123 जारी किया था। यह नंबर 29 नवंबर 2015 तक वेलिड था। रोड टैक्स संबंधी जो पैसा डीलर को दिया था, वह उसने 30 दिन के भीतर डीटीअो दफ्तर में जमा करवाना होता है। उपभोक्ता ने कार का एक साल का बीमा कवर भी 1,10,595 रुपए चुकाकर खरीदा। जो रोड टैक्स के 2,95,000 रुपए का चेक डीलरशिप को दिया था, वो भी कैश कर लिया गया था।
    एक्सीडेंट के अगले दिन जमा करवाया रोड टैक्स: कारोबारी ने कहा कि 7 अक्टूबर 2015 को रात 8 बजे फिल्लौर के पास एक्सीडेंट हुअा। गाड़ी ड्राइवर गुड्डू चला रहा था। पेप्सी फैक्ट्री के नजदीक मवेशी को बचाने के चक्कर में कार सीवरेज ड्रेन से टकराकर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। डीलर ने गाड़ी का रोड टैक्स अगले दिन 8 अक्टूबर को जमा करवाया। उधर, बीमा कंपनी ने वेलिड रजिस्ट्रेशन नंबर न होने के चलते बीमा क्लेम देने से मना कर दिया। उपभोक्ता ने कहा कि पहले डीलरशिप को हुए नुकसान संबंधी नोटिस भेजा। फिर रिमाइंडर दिया। इसके बाद उपभोक्ता आयोग पहुंचे।

    डीलर ने मामले को सिविल कोर्ट का केस बताया: फोरम में जिरह शुरू होने पर डीलर ने दलील दी कि कार पार्टनरशिप फर्म के नाम पर खरीदी गई है। फर्म के नाम पर कार का इस्तेमाल व्यापार के लिए होता है। तरनबीर सिंह पर उपभोक्ता होने के नियम लागू नहीं होते। डीलर ने इसे सिविल कोर्ट का केस बताया। ये भी कहा कि उपभोक्ता ने अपनी पसंद का 0208 नंबर मांगा था। टेंपरेरी नंबर की वेलिडिटी खत्म होने के बाद वाहन को रोड पर ले जाना मना होता है।

    टेंपरेरी नंबर 27 सितंबर 2015 तक वेलिड था। उपभोक्ता ने जो डीडीआर पुलिस के पास दर्ज कराई, वो अंडर क्वेश्चन है। सबसे पहले बीमा कंपनी के टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर पर सूचित करना होता है। उपभोक्ता ने वर्कशाप में 7 अक्टूबर को सूचना दी और हमने 8 अक्टूबर को पैसे जमा कराए। फोरम ने उपभोक्ता के हक में फैसला सुनाया और डीलर को 33,35,530 रुपए 9 परसेंट सालाना ब्याज सहित देने का आदेश दिया। साथ में लिटिगेशन चार्जेज के 22,000 रुपए देने होंगे। फैसले पर एक महीने में अमल करना होगा।

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