नींद में होने लगती है बेचैनी, नहीं ले पाते सांस तो हो सकती है ये गंभीर बीमारी; तुरंत लें डॉक्टरी सलाह

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Health : आराम की नींद किस्मत से मिलती है। ये लाइन आपने भी किसी न किसी मूवी में जरूर सुनी होगी। लेकिन इसका तात्पर्य यहां थोड़ा अलग है। दुनिया में बहुत से ऐसे लोग है जो घोड़ा बेचकर सोते हैं। मतलब की एक बार सोने के बाद दोबारा सीधे सुबह ही उठते हैं। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें नींद में बैचनी होने लगती है और सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। यह एक तरह की मेडिकल कंडीशन है, जिसे डॉक्टर्स स्लीप एपनिया कहते हैं।

आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि

एक रिसर्च में पाया गया दुनिया भर में करीब एक अरब लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। इस बीमारी की गंभीरता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि सांस न ले पाने से जान जाने का भी डर रहता है। अगर ऐसा नहीं होता है तो भी इस बीमारी के शिकार लोग दिल की और सांस लेने की कई बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। उन्हें टाइप-2 डायबिटीज भी हो सकता है।

सोते समय हमारी नींद कई चरणों से गुजरती है। जिसमें ब्लड प्रेशर और सांस लेने में उतार-चढ़ाव भी शामिल है। वैसे तो सोते समय हमारी ज़्यादातर मांसपेशियां आराम की मुद्रा में रहती हैं। लेकिन अगर गले की पेशी कुछ अधिक ही तनावमुक्त हो जाए, तो अंदर हवा जाने वाला रास्ता बंद हो जाता है, और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।

​क्या है स्लीप एपनिया

मायो क्लिनिक के अनुसार, स्लीप एपनिया एक गंभीर स्लीप डिसऑर्डर है जिसमें बार-बार सांस लेना बंद हो जाता है और शुरू हो जाता है। यदि आप जोर से खर्राटे लेते हैं और पूरी रात की नींद के बाद भी थकान महसूस करते हैं, तो आपको स्लीप एपनिया हो सकता है। यह 3 तरह का होता है – सेंट्रल, ऑब्सट्रक्टिव और कॉमप्लैक्स स्लीप। इनमें से सबसे आम है ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (OSA)।

​किन लोगों को होता है इस बीमारी का खतरा

अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार, कुछ लोगों में ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया विकसित होने की संभावना अधिक होती है यदि वह मोटापा, शराब का उपयोग, या धूम्रपान जैसे कारकों से संबंधित होते हैं। इसेक अलावा यह प्रोब्लम जेनेटिक भी हो सकती है। साथ ही पुरुषों और बुढ़े लोगों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है।

​क्यों खतरनाक है स्लीप एपनिया

यह बीमारी इसलिए खतरनाक मानी जाती है क्योंकि इसका निदान व्यक्ति खुद मुश्किल से ही कर पाता है। क्योंकि सोते वक्त वो बेचैन होता है। नींद पूरी न होने से उठने पर थकान होती है। सिर और शरीर में दर्द होता है। इंसान डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। लेकिन, इसका मूल कारण पता नहीं होता। नींद में सांस न ले पाने की समस्या का पता सिर्फ किसी की सोते वक्त निगरानी करके ही लगाया जा सकता है।

​स्लीप एपनिया से हो सकता है ये जोखिम

स्लीप एपनिया कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को बढ़ा सकता है। हाल के तीन अध्ययनों के परिणामों से पता चला है कि स्लीप एपनिया कैंसर के बढ़ते जोखिम, मेंटल हेल्थ में गिरावट और रक्त के थक्कों से जुड़ा है

​क्या स्लीप एपनिया से बचा जा सकता है?

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