आंखों में जलन, शरीर में खुलजी…ध्वस्त ट्विन टावर बिगाड़ सकता है लोगों की सेहत, रहें सतर्क

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हैलथ : नोएडा में सुपरटेक के लगभग 100 मीटर ऊंचे ट्विन टावर को  जमींदोज किये जाने के मद्देनजर चिकित्सकों ने उसके आसपास रह रहे और सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों को अधिक सावधानी बरतने तथा संभव हो तो कुछ दिन इलाके से दूर रहने की सलाह दी है। ट्विन टावर को ध्वस्त करने से अनुमानित 80 हजार टन मलबा निकला है और विस्फोट के दौरान हवा में धूल का गुबार देखने को मिला।

पैदा हो सकती है कई समस्याएं

चिकित्सकों का कहना है कि अधिकतर धूल कण का आकार पांच माइक्रोन के व्यास या इससे कम है जो तेज हवा और बारिश की अनुपस्थिति जैसे अनुकूल मौसमी दशाओं में कुछ दिन वातावरण में ही बने रह सकते हैं। उन्होंने कहा कि धूल कण से हुए भारी प्रदूषण की वजह से आंखों में जलन, नाक और त्वचा में खुजली, खांसी, छींक, सांस लेने में परेशानी, फेफड़ों में संक्रमण, नाक बंद होने की समस्या पेश आ सकती है। साथ ही, दमा और हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं।

48 घंटे तक प्रभावित इलाके में जाने से बचें

सफदरजंग अस्पताल में कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ.जुगल किशोर ने कहा कि हवा की गति कम होने की वजह से धूल कण कुछ समय तक हवा में ही रह सकते हैं। जो लोग श्वास की समस्याओं जैसे कि दमा और ब्रोंकाइटिस का सामना कर रहे हैं, उन्हें संभव हो तो कुछ दिन उस इलाके में जाने से बचना चाहिए। ऐसे लोगों को कम से कम 48 घंटे तक प्रभावित इलाके में जाने से बचना चाहिए। जो लोग आसपास के इलाके में रह रहे हैं उन्हें कुछ दिन व्यायाम नहीं करना चाहिए। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली में ‘क्रिटिकल केयर’ के सहायक प्रोफेसर डॉ.युद्धवीर सिंह की मानें तो वातावरण में मौजूद 2.5 माइक्रोन से कम व्यास के मौजूद कण समस्या पैदा कर सकते हैं। इससे खांसी, छींक, दमा की शिकायत, फेफड़ों में संक्रमण, नाक बंद होना, सांस लेने में समस्या के मामले बढ़ सकते हैं।

इस तरह करें खुद का बचाव

लोगों को एहतियात बरतने और दवाओं का बफर स्टॉक रखना चाहिए।
जब तक प्रदूषक कण सतह पर बैठ नहीं जाते, तब तक एन-95 मास्क को करें यूज
पूरी बाजू के कपड़े पहनने चाहिए।
कुछ दिनों तक सुबह टहलने से बचना चाहिए।
समस्या बढ़ने पर चिकित्सकों की सलाह लेनी चाहिए।

वायु प्रदूषण के स्तर पर नजर

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वायु गुणवत्ता प्रयोगशाला के पूर्व प्रमुख डॉ. दीपांकर साहा ने कहा कि जब तक मलबा हटाया नहीं जाता, तब तक नोएडा प्राधिकरण को सस्ते सेंसर की मदद से वायु प्रदूषण के स्तर पर नजर रखनी चाहिए। जब तक मलबा का निस्तारण नहीं हो जाता, वायु प्रदूषण की समस्या बनी रहेगी और लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।  इमारतों को ध्वस्त किये जाने से पैदा हुए धूल कण के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर का आकलन करने के लिए अध्ययन किया जा सकता है।

कुतुबमीनार से भी ऊंचा था ट्विन टावर

एम्स के एडिशनल प्रोफेसर डॉ.हर्षल साल्वे ने कहा कि इलाके की वायु गुणवत्ता खराब हो सकती है और यही स्थिति अगले 15 दिनों तक बनी रह सकती है। उन्होंने कहा कि वातावरण में हुए प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए स्मॉग गन के इस्तेमाल जैसे कदम कारगर नहीं होंगे। हमें वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए इन उपायों से आगे सोचना होगा क्योंकि यह स्थिति संभवत: इलाके में रहने वाले लोगों के लिए स्वास्थ्य समस्या उत्पन्न कर सकती है। गौरतलब है कि दिल्ली के ऐतिहासिक कुतुबमीनार से भी ऊंचे दोनों इमारतों को रविवार को 3,700 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल कर ध्वस्त कर दिया गया।

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