होशियारपुर, जनगाथा टाइम्स: (रविंदर)
अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद की बैठक डा. अरविंद पराशर की अध्यक्षता में हुई। जिसमें प्रदेश प्रभारी आशुतोष शर्मा विशेष तौर पर उपस्थित हुए। बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कई भाषओं की जननी संस्कृत पंजाब में अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही हैं। सरकार ने इसके उत्थान व प्रचार प्रसार से अपने हाथ पूरी तरह खींच लिए हैं। इसी कड़ी में अब हिंदी को लेकर भी राज्य सरकारें उदासीन हैं। वे आज परिषद की बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पंजाब में किसी वक्त 90 गैर सरकारी संस्कृत कालेज या संस्थान थे, जिनकी संख्या अब महज 7 तक सिमट गई हैं। बावजूद इसके पंजाब सरकार इसको बढ़ावा तो क्या देगी बल्कि स्कूलों में अब विदेशी भाषाओं को पढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं जो कि एक भारतीय संस्कृति पर सोची समझी साजिश हैं।शर्मा ने बताया कि पंजाब सरकार ने सुनियोजित तरीके से संस्कृत के विद्यार्थी कम किए। सरकार अगर स्कूलों में संस्कृत के अध्यापक की भर्ती शुरू कर दे तो संस्कृत दोबारा अपना खोया सम्मान पा सकती हैं। संस्कृत कालेजों को एक अच्छी ग्रांट देकर प्रोत्साहित करें लेकिन पता नहीं पंजाब सरकार की संस्कृत से क्या दुश्मनी हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा के अंको को कुल अंको में जोड़ा जाए, न कि इन्हें ऑप्शनल अंको के रूप में लिया जाए। आज बी.ए.एम.एस की मेडिकल पढ़ाई करने के लिए संस्कृत जरूरी होती हैं। लेकिन विद्यार्थियों को संस्कृत का पूरा ज्ञान न होने के कारण उनको आयुर्वेद में डिग्री हासिल करने में मुश्किल आती हैं।
आशुतोष शर्मा ने पंजाब के मुख्यमंत्री से मांग हैं कि वह सरकारी स्कूलों में अरबी, चीनी, फ्रेंच भाषा पढ़ाने की रूपरेखा तैयार करने की बजाए संस्कृत कालेजों की ओर ध्यान दें। उन्होंने इसके साथ ही हिंदी भाषा को भी प्रोत्साहित करने की मुख्य मंत्री को अपील की ताकि हमारी नौजवान पीढ़ी अपनी संस्कृति व भाषा का सम्मान कर सकें। इस मौके पर योगेश चौबे, विश्रुत शर्मा, सन्नी शर्मा, रोहित रावल, अजय ऐरी, राजीव शर्मा व अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे।