होशियारपुर(रुपिंदर )। सरकार द्वारा जो पैसा जनता से गौसैस के रूप में लिया जाता है अगर सरकार उसे सही तरीके से प्रयोग करे तो लावारिस गौधन की समस्या को जड़ से खत्म किया जा सकता है, क्योंकि जनता से पैसा इक्कट्ठा करने का मुख्य उद्देश्य यही है कि गौधन की समस्या को खत्म किया जा सके। उक्त विचार नई सोच संस्था के संस्थापक अध्यक्ष अश्विनि गैंद ने चिंतपुर्णी रोड पर लावारिस गौधन एवं पशुओं के लिए बनाई खुरलियों में पानी भरते समय कही। उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां सारे शहर में गर्मी से राहत के लिए पानी की छबीलें लगी हैं वहीं दूसरी तरफ लावारिस गौधन पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। जिनका दुख प्रशासन नहीं देख रहा तथा आंखे मूंद कर सोया हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार रोजाना करोड़ो रुपये गौ सैस के लिए जमा कर रही है जिसका कुछ प्रतिशत ही गौधन की सेवा में लगाया जाता है। मानो, ऐसा लगता है कि उससे गौधन को कोई लाभ न देकर, सरकारें अपनी जेबें भरने में लगी हुई हैं। उन्होंने कहा कि सरकार इस बात को अच्छी तरह से जानती है कि गौ सैस के लिए जमा पैसा कहीं और खर्च नहीं किया जा सकता उसके बावजूद भी सरकारों द्वारा गौधन को बचाने के लिए कोई उचित प्रयास नहीं किए जा रहे। इस दौरान श्री गैंद ने कहा कि अगर सरकारों द्वारा प्रत्येक गऊ के हिसाब से गौ सैस से धन दिया जाए तो जो गऊशालाएं खुली हुई हैं वो लावारिस गौधन को लेने में संकोच नहीं करेंगे। इस दौरान अशोक सैनी ने कहा कि लोगों को भी गौ सैस के लिए धन देते समय ध्यान रखना चाहिए कि जो धन वह दे रहे हैं उसे गौधन की सेवा में लगाया जा रहा है या नहीं, उन्होंने लोगों से अपील की कि सरकारों द्वारा जो गौ सैस लिया जाता है तो उस समय इसकी जांच की आवाज उठाएं। अगर प्रशासन द्वारा कोई उचित जवाब नहीं मिलता तो गौ सैस भी देना बंद करें। इस दौरान श्री गैंद ने प्रशासन व सरकार से अपील की कि गौधन की तरफ ध्यान दिया जाए अन्यथा जो धन उनके नाम पर एकत्र हो रहा है उसे लेना बंद करें, अगर ऐसा न हुआ जो जनता को साथ लेकर इस गौ सैस को बंद करवाने के लिए संघर्ष किया जाएगा।