इंटरनेशनल : काला सागर अनाज समझौते को लेकर भारत ने चेतावनी दी है कि अगर यह डील टूटी तो तो दुनिया के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी। भारत ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से हुए काला सागर अनाज समझौते को निलंबित किए जाने से दुनिया के सामने मौजूद खाद्य सुरक्षा, ईंधन और उर्वरक की आपूर्ति संबंधी चुनौतियां और बढ़ने की आशंका है। इस समझौते के तहत रूस के साथ जारी युद्ध के बीच यूक्रेन से खाद्य सामग्री का निर्यात किया जा रहा था।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में काउंसलर आर. मधुसूदन ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रयासों के परिणामस्वरूप हुए अनाज समझौते का उद्देश्य वैश्विक खाद्य संकट को टालना और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है। काला सागर अनाज समझौते पर सोमवार को सुरक्षा परिषद की ब्रीफिंग के दौरान मधुसूदन ने कहा, “काला सागर अनाज समझौते और पक्षों के बीच सहयोग ने अब तक यूक्रेन में शांति के लिए आशा की एक किरण पैदा की थी…हमारा मानना है कि काला सागर अनाज समझौते के निलंबन से दुनिया और विशेष रूप से दक्षिणी हिस्से के सामने खाद्य सुरक्षा, ईंधन और उर्वरक आपूर्ति चुनौतियां और बढ़ने की आशंका है।”
उन्होंने कहा कि भारत “यूक्रेन व रूस से खाद्य एवं उर्वरक के निर्यात की सुविधा शुरू करने और समझौते को नया रूप देकर उसके पूर्ण कार्यान्वयन” की संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस की अपील का समर्थन करता है। रूस ने क्रीमिया प्रायद्वीप में स्थित यूक्रेन के बंदरगाह सेवस्तोपोल में अपने जहाजों पर हमले का हवाला देते हुए शनिवार को समझौता निलंबित करने की घोषणा की थी। गुतारेस ने कहा था कि वह काला सागर अनाज समझौते के संबंध में मौजूदा स्थिति के बारे में बहुत चिंतित हैं।