बंबई हाईकोर्ट ने बोला, बिना फूल या फल वाले भांग के पौधे को ‘गांजा’ नहीं माना जा सकता

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नेशनल : बंबई उच्च न्यायालय ने व्यावसायिक मात्रा में मादक पदार्थ रखने के आरोपी व्यक्ति को अग्रिम जमानत देते हुए कहा है कि बिना फूल या फल वाला भांग का पौधा ‘गांजा’ के दायरे में नहीं आता है। न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने 29 अगस्त को पारित अपने आदेश में यह भी कहा कि आरोपी के आवास से स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा जब्त किए गए पदार्थ और रासायनिक विश्लेषण के लिए भेजे गए नमूने में भी अंतर है।

अदालत कुणाल कडू द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें नशीला पदार्थ निषेध कानून (एनडीपीएस) की धारा-8(सी) (मादक पदार्थ का उत्पादन, निर्माण या कब्जा), 28 (अपराध करने का प्रयास) और 29 (आपराधिक साजिश) के तहत अपराधों के लिए एनसीबी द्वारा अपनी गिरफ्तारी की आशंका जताई थी। एनसीबी के अनुसार, उसने अप्रैल 2021 में कडू के आवास पर तलाशी ली थी और तीन पैकेट में कुल 48 किलोग्राम हरा पत्तेदार पदार्थ बरामद किया था।

एनसीबी ने दावा किया था कि यह हरा पत्तेदार पदार्थ गांजा है और चूंकि बरामद किए गए प्रतिबंधित पदार्थ का कुल वजन 48 किलोग्राम था, इसलिए यह वाणिज्यिक मात्रा की परिभाषा के अंतर्गत आता है। न्यायमूर्ति डांगरे ने एनडीपीएस कानून के तहत गांजा की परिभाषा पर भरोसा करते हुए कहा, ‘‘गांजा भांग के पौधे का फूल या फल वाला शीर्ष भाग होता है और जब फूल या फल वाला हिस्सा साथ नहीं हो तो पौधे के बीज और पत्ते को संबंधित श्रेणी में नहीं रखा जाना चाहिए।” अदालत ने कहा, ‘‘अगर पौधे के शीर्ष भाग के साथ फूल या फल के रूप में बीज और पत्ते हों तो यह गांजा माना जाएगा।

लेकिन जब बीज और पत्ते इसके शीर्ष भाग के साथ नहीं होंगे तो इसे गांजा नहीं माना जाएगा।” न्यायमूर्ति डांगरे ने कहा कि वर्तमान मामले में एनसीबी ने आरोप लगाया है कि आरोपी व्यक्ति के घर से जब्त किया गया पदार्थ एक हरे पत्ते वाला पदार्थ था और उसने फूल या फल का कोई संदर्भ नहीं दिया है। अदालत ने कहा कि कडू को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत नहीं है और उन्हें अग्रिम जमानत दे दी गई। कडू के वकील मिथिलेश मिश्रा ने दलील दी थी कि फल और फूलों वाले शीर्ष भाग की अनुपस्थिति में केवल पत्ते और बीज किसी पदार्थ को एनडीपीएस कानून में परिभाषित गांजा शब्द के दायरे में नहीं लाते।

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