पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर हाई वोल्टेज ड्रामा, बेहोश हुई दोषी अक्षय की पत्नी!

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    नई दिल्ली, जनगाथा टाइम्स: (सिमरन)

    नई दिल्ली: निर्भया केस के चारों दोषियों की डेथ वॉरेंट पर रोक लगाने वाली याचिका पर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. दोनों पक्षों की बहस के बाद जज ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. जज लंच के बाद इसपर फैसला सुनाएंगे. इस बीच पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर दोषी अक्षय कुमार की पुनीता देवी का हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिला.

    उधर, कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही थी इधर कोर्ट परिसर के बाहर पुनीता देवी ने रो-रोकर बुरा हाल कर लिया. वह पटियाला हाउस कोर्ट परिसर के बाहर एक गिर गई. रिपोर्ट के मुताबिक महिला रोते-रोते बेहोश हो गई है. आपको बता दें कि दोषी अक्षय की पत्नी बिहार के औरंगाबाद के फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी भी दाखिल कर चुकी है. दायर अर्जी में अक्षय ठाकुर की पत्नी ने कहा कि वो विधवा बनकर नहीं जी सकती इसलिए उसे तलाक दिया जाए. अक्षय की पत्नी का कहना है कि इससे उसे पूरी जिंदगी रेपिस्ट की विधवा के रूप में काटनी पड़ेगी.

    पति को बताया निर्दोष:

    अक्षय की पत्नी ने अर्जी में लिखा है कि मेरे पति निर्दोष हैं, ऐसे में मैं उनकी विधवा बनकर नहीं रहना चाहती, इसलिए उसे अपने पति से तलाक चाहिए. पुनीता ने हिन्दू विवाह अधिनियम 13.2.2 के अंतर्गत तलाक मामला दायर किया है. पुनीता ने अदालत में दी गई अर्जी में लिखा है कि वैसे तो उसका पति निर्दोष है लेकिन न्यायालय के दृष्टिकोण से वो दोषी है. कानून के मुताबिक बलात्कारी की पत्नी तलाक ले सकती है क्योंकि वो विधवा के रूप में गुजर-बसर करने के लिए तैयार नहीं है.

    सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की पवन की याचिका:

    सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया मामले के दोषी पवन की क्यूरेटिव याचिका ख़ारिज की. पवन ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक और कयूरेटिव पेटिशन दायर की थी जिसमें कहा गया था कि वारदात के समय वह नाबालिग था इसलिए उसकी फांसी की सजा ख़ारिज की जाए.

    पवन ने यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में उसकी पुनर्विचार याचिका ख़ारिज होने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ दायर की थी. यह कयूरेटिव याचिका ख़ारिज होना तय था, क्योकिं पवन की नाबालिग होने की दलील को सुप्रीम कोर्ट पहले ही ख़ारिज कर चुका है. यह याचिका जजों ने अपने चेंबर में सुनी थी जिसमें किसी तरफ़ का वकील जिरह के लिए मौजूद नहीं होता है. जज अपने पुराने फैसले के संदर्भ में यह देखते हैं कि दोषी कोई बहुत अहम क़ानूनी पहलू तो नहीं ले आया है जो कि कोर्ट में पहले जजों के सामने न रखा गया हो. इस मामले में सभी दोषी अपनी अपनी दलीलों को कई कई बार कोर्ट में रख चुके हैं जिन्हें कोर्ट ख़ारिज कर चुका है.

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