नई दिल्ली: (जनगाथा टाइम्स ) वकीलों (lawyers) द्वारा न्यायपालिका और जजों पर किए जाने वाले हमलों पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने भारी प्रहार किया है. एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा किअदालती फैसलों को राजनीतिक रंगों में शामिल करना घोर अवमानना है. जजों व न्यायपालिका को राजनीतिक उद्देश्यों के तहत नहीं रखा जा सकता. जजों के खिलाफ उचित फोरम पर शिकायतें दर्ज हों लेकिन पक्ष में फैसला न आने पर जजों पर प्रेस में हमला नहीं किया जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वकीलों को प्रेस में डिबेट के माध्यम सेफैसलों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. जजों पर संस्थान की गरिमा को बनाए रखने की जिम्मेदारी भी है. वे प्रेस में जाकर अपना पक्ष या विचार नहीं रख सकते. अवमानना की कार्रवाई ब्रहमास्त्र की तरह है और जरूरत पड़ने पर ही अदालत इसका इस्तेमाल करती है. न्यायपालिका में सर्व करना सेना की सेवाओं से कम नहीं है.