महाराष्ट्र के घटनाक्रम ने यह सिद्ध किया राजनीति में कोई किसी का नहीं-मनप्रीत मन्ना

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    महाराष्ट्र में शनिवार के दिन निकलते ही एक ख़बर टी.वी. चैनलों पर चली जिस ने राजनीति में एक बहुत भी बड़ी हलचल पैदा करके रख दी। महाराष्ट्र में भाजपा ने अजीत पवार के साथ मिलकर वहां सरकार बना ली। फिर से देविन्दर फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री बन गए और अजीत पवार उप मुख्य मंत्री बन गए। इस घटनाक्रम ने देश की राजनीति में एक उल्टफेर कर दिया। जिस के साथ तरह -तरह की अनुमान जो पिछले 15 -20 दिनों से चल रही थीं उन पर रोक लगा दी। शिवसेना,भाजपा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में से किसी का कोई पता नहीं था कि किसने सरकार बनानी है। कुल महाराष्ट्र विधानसभा की 299 सीटों थे। बहुमत के लिए 145 सीटों ज़रूरी थे। भाजपा के पास 104, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के पास 54, शिवसेना के पास 56 और कांग्रेस के पास 44 सीटों थी। पहले भाजपा की तरफ से पिछले दिनों राज्यपाल के बुलाए जाने पर सरकार बनाने से इन्कार कर दिया था जबकि शिवसेना ने थोड़ा समय माँगा था परन्तु राज्यपाल ने समय देने से इन्कार कर दिया थी। इस दौरान राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। जिस से शिवसेना, कांग्रेस व अन्यों में बैठकों का दौर चल रहा था, जिसके बाद मीडिया के में जो खबरें चलीं जो कि शनिवार के समाचार पत्रों में भी आ गया कि शिवसेना कांग्रेस और एन.सी.पी. मिल कर सरकार बनाऐंगे और उदव ठाकरे मुख्य मंत्री बनेंगे परन्तु सुबह होते ही महाराष्ट्र की राजनीति में एक ऐसा धमाका हुआ कि हर कोई देखता ही रह गया और भाजपा सरकार बनाने में कामयाब हो गई। इस सभी घटनाक्रम ने एक बात तो बिल्कुल सिद्ध करके रख दी है कि राजनीति के में कोई किसी का सगा नहीं होता, जब किसी को कोई मौका मिलता वह उसका फ़ायदा ले लेते है और सत्ता का सुख ले लेते है। जिसकी मिसाल महाराष्ट्र में बनी सरकार है, जो पार्टी कल तक शिवसेना और कांग्रेस के साथ मिल कर सरकार बनाने की तैयारी कर रही है, सुबह होते ही वह भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना भी लेती है।
    इस तरह की राजनीति के साथ जनता की भूमिका पर राजनीतिक पार्टियां भारी
    महाराष्ट्र में बनी सरकार के बाद जनता की भूमिका पर राजनीतिक पार्टियां भारी पड़तीं हुई दिखाई दे रही हैं। राजनीतिक पार्टियों के पास चाहे बहुमत के लिए सीटें न भी हो तो वह दूसरी पार्टियों के साथ मिल कर सरकार बना सकती हैं। जनता किस पार्टी को जिताती है या नहीं जिताती है इस के साथ कोई फर्क पडऩे वाला नहीं है। सत्ता के सुख के लिए राजनीतिक पार्टियाँ रातो रात बदल सकतीं हैं, किसी दूसरी पार्टी के अरमानों पर पानी भी फेरा जा सकता है। रातों रात किसी पार्टी को सत्ता मिल सकती है और किसी पार्टी को रातों रात उतारा भी जा सकता है। इसमें जो जनता की भूमिका होती थी उस पर राजनीतिक पार्टियों का किसी भी तरीकों के साथ शासन करने की लालसा भारी पड़ती हुई नजऱ आ रही है। बाकी आने वाले समय के में क्या होगा नहीं होगा यह तो बाद की बातें हैं अब तो भाजपा फिर से अपना मुख्य मंत्री बनाने के में कामयाब हो गई है और उसने शपथ भी उठा ली है। आने वाले पाँच साल से उन का ही शासन रहेगा।
    शिवसेना उप मुख्यमंत्री के पद से भी गई
    इसके साथ सब से ज़्यादा घाटा शिवसेना बाल ठाकरे को पड़ा है, जिसको कि भाजपा उप मुख्य मंत्री का पद भी दे रही थी परंतु उन के इन्कार करने के साथ वह पद भी उन के हाथों निकल गया। शिवसेना और भाजपा ने मिलकर महाराष्ट्र की विधानसभा चुनाव लड़े थे। परन्तु भाजपा और शिवसेना मिलकर बहुमत तो हासिल कर लिया था परन्तु शिवसेना के 50 -50 के शोर ने सारा मामला खऱाब करके रख दिया। कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस और शिवशेना की तिकड़ी ने एक बार तो भाजपा को झटका दे दिया था परन्तु उन को क्या पता था कि भाजपा ने कौन सा तीर चला देना है, जिस के साथ कांग्रेस और शिवशैना को घायल करके रख देना है और फिर भाजपा ने राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के साथ मिल सत्ता पर काबिज़ हो जाना है
    लेखक
    मनप्रीत सिंह मन्ना
    मकान नंबर ए, वार्ड नंबर 5
    गढ़दीवाला।
    मोबा.09417717095,07814800439।

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