होशियारपुर (जनगाथा टाइम्स ): सतगुरु द्वारा दिए गए ब्रह्मज्ञान की रोशनी सदा रहने वाली रोशनी है, जीवन के साथ भी और जीवन के बाद भी। इसके बाद अज्ञानता रूपी अंधेरा समाप्त हो जाता है। रोशनी का कर्म होता है कि वह सदियों पुरानें अंधेरे को समाप्त कर देता है ऐसे ही ब्रह्मज्ञान के बाद सच्चाई रूपी रोशनी जल उठती है जिसके बाद इंसान के मन में अज्ञानता रूपी अंधेरा खत्म हो जाता है। उक्त उद्दगार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने दिल्ली में दिवाली के उपलक्ष्य में आयोजित एक विशेष निरंकारी संत समागम के दौरान प्रकट किए।
सतगुरु माता जी ने गुरसिखों को संदेश देते हुए कहा कि जो रोशनी उनको मिली है, उस रोशनी को जन-जन तक पहुंचा कर अज्ञानता रूपी अंधेरा जो संसार में आज बहुत बढ़ गया है को समाप्त करने में योगदान देना है। निरंकारी माता जी ने फरमाया कि दिवाली का असली उद्देश्य या मतलब है कि ब्रह्मज्ञान की रोशनी को कभी भी कम नहीं होने देना है। सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने कहा कि गुरसिख कभी भी किसी से कोई फर्क नहीं करता है क्योंकि उसे सभी में एक निरंकार प्रभु का रूप दिखाई देता है। ब्रह्मज्ञान की रोशनी सदा रहने वाली है। हम सभी को रोशन मिनार बनना है, दूसरों को ब्रह्मज्ञान की रोशनी से जगाना है।