होशियारपुर (पवन ) दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा अपने स्थानीय आश्रम में गुरु पर्व के उपलक्ष्य में आयोजित दो दिवसीय विलक्षण योग एवं ध्यान शिविर के आज द्वितीय दिवस संस्थान की ओर से श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी विज्ञानानंद ने बताया कि आज 21वीं सदी के वैज्ञानिक एवं प्रगतिवादी युग में मनुष्य के पास भौतिक सुख सुविधाएं तो हैं परंतु मानसिक शान्ति का अभाव होने के कारण मनुष्य अशांत एवं अवसाद से ग्रसित है।ध्यान को मानसिक शान्ति का उपाय बताये हुए स्वामी जी ने बताया कि हमारी सनातन भारतीय संस्कृति की मेधा प्रज्ञा इस तथ्य को सर्वसमिति से स्वीकार करती है की ध्यान से ही मनुष्य मानसिक शान्ति को प्राप्त कर सकता है। परन्तु बिडम्वना है कि आज मूलत: सम्मोहन क्रिया को ही ध्यान का अंग स्वीकार कर लिया जाता है। जब कि ऐसा नहीं है। ध्यान तो वैदिक सनातन पद्धति का विशुद्ध अंग है। जो की ध्येय और ध्याता के संयोग से पूर्ण होता है। समस्त धार्मिक ग्रंथों में ईश्वर को प्रकाश स्वरुप बताया गया है जैसे कि वेदों में ईश्वर को आदित्यवर्ण भाव की सूर्य स्वरुप बता कर अंत: करण में उसके प्रकाश स्वरुप दर्शन की बात की गई है। जिसे गायत्री मन्त्र में भर्गो देवस्य धीमहि के उदघोषस्वरूप बताया गया है। जिसमे पूर्ण सद्गुरु शरणागति साधक को ब्रह्म ज्ञान की दीक्षा प्रदान कर उसकी दिव्य दृष्टि खोल कर उसे ध्येय स्वरुप ईश्वर के प्रकाश स्वरुप का दर्शन करवाते हैं। फिर आंरभ होती है ध्यान की शाश्वत प्रक्रिया। जिससे ध्याता अपने भीतर आनंद को प्राप्त करता है। ईश्वर से एकात्म हुए साधक का हर दिन हर पल एक दिव्य पर्व से जीवन का गर्व बन जाता है।
ध्यान देने योग्य है की आज संस्थान की ओर से संम्पूर्ण विश्व में नि:शुल्क ध्यान शिविर आयोजित कर विश्व को ध्यान की सनातन प्रक्रिया से जोड़ा जा रहा है। कार्यक्रम में उपस्थित साधकों ने सामूहिक ध्यान कर जहाँ मानसिक शांति एवं परम आनंद को प्राप्त किया वहीं साध्वी राजविंदर भारती व दविंदर भारती व धर्मा भारती ने प्रेरणादायक भजनों व दिव्य मन्त्रों का उच्चारण कर विश्व शान्ति और सर्व जगत कल्याण की मंगल प्रार्थना भी की। कार्यक्रम के उपरांत सभी साधकों के लिए भंडारे की व्यवस्था भी की गई।