दिव्य ज्योति जागृति संस्थान ने धार्मिक समागम करवाया ।

    0
    198

    होशियारपुर(शाम शर्मा) दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के गौतम नगर आश्रम में प्रवचन करते हुए श्री आशुतोष महाराज जी कि शिष्या साध्वी सुश्री शिप्रा भारती जी ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य रहा कि आदिकाल से इस भूमि ने संत, महापुरूषों ,अवतारों का चरणस्पर्श किया। उन्होनें कहा कि सृष्टि के उदयकाल में ही चिंतकों ने जीवन सबंधी चिंतन की चरम ऊ चाइयों को छू लिया था। जहां विश्व की अन्य स5यताओं ने प्रत्यक्ष दिखने वाली देह को ही सब कु छ की धारणा आज भी वैसी ही है। वही भारत के आदि चिंतक को ने देह में मौजूद सूक्षमतम और दिव्यतम आत्मा को भी उद्घाटित करने की विधि का अन्वेषण किया।
    साध्वी जी ने कहा कि भारत की भौगोलिक स्थिति ही कुछ ऐसी है कि आंरभिक काल से यहां का पर्यावरण पूर्णत्या मनोवृतियों को आत्मोन्मुखी करने के लिए सहज रहा है । भारतीय संस्कृति रही है। उन्होनें कहा कि जहां पाश्चात्य इतिहास कामुक दुव्र्यसनों की लंबी कहानी है, वही हमारी संस्कृति चरिन्न ,ब्रह्यचर्य और संयम की पविन्न कहानी है । साध्वी जी ने कहा कि केवल हमारे इतिहास में ऐसे आलौकिक उदाहरण मिलते है, जहां शिवा जी छन्नसाल,दूर्गादास जैसे राजा जीते हुए शुन्न राजाओं की बेगमों को माता कहते है। ऐसे अभूतपूर्व आदर्श केवल हमारी संस्कृति की बिरासत है। हमारा प्रमुख दायित्व है कि हम अपनी संस्कृति की गरिमा को बनाए रखें।

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here