गुरसिख गुरू के वचनों को जीवन का श्रृंखार समझता है : महात्मा विनोद भाटिया 

    0
    216

    होशियारपुर (मनप्रीत मन्ना ) : गुरसिख दे जीवन में जब ब्रह्म ज्ञान आता है तो प्यार, विनम्रता, सहनशीलता और दास भावना अपने आप ही जीवन में आ जाती है। उक्त विचार संत निरंकारी सत्संग भवन असलामाबाद होशियारपुर में मुखी बहन सुभद्रा देवी का नेतृत्व हुए संत समागम दौरान ज्ञान प्रचारक महात्मा विनोद भाटिया ने प्रकट किये। उन्होंने कहा कि गुरसिख केवल गुरसिख बन कर ही गुरू के दर पर रहता है। गुरू के वचनों को अपने जीवन का श्रंृगार समझ कर अपनाता हुआ चला जाता है। जब वह गुरू के वचनों मर्यादा अनुसार मानता है और वह जन्म मरन से मुक्त हो जाता है। फिर उसका लोक और परलोक दोनों ही संवर जाते हैं। ब्रह्मज्ञान ही मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाता है और जीवन में ख़ूबसूरती भरता है। उन्होंने आगे कहा कि इंसानी जीवन बहुत ही कीमती है, 84 लाख योनियों के बाद यह जीवन जीने को मिलता है। इस जीवन को संवारने के लिए पूरे सत्गुरू का मिलना बहुत ज़रूरी है। पूरा सत्गुरू ही इस निरंकार का ब्रह्मज्ञान दे कर जीवन को अज्ञानता और अहंकार के बंधनों से मुक्त करता है। ब्रह्मज्ञान मिलने के बाद गुरसिख के तन,मन,धन के साथ गुरू आगे समर्पित होना होता है और गुरू के वचनों को मानना ही इसकी भक्ति होती है। ब्रह्मज्ञान के माध्यम के द्वारा ही इस परमात्मा का ज्ञान हासिल होता है और जीव को अपने आप की पहचान होती है। आखिर में शिक्षक देविन्दर बोहरा बोबी ने मुखी बहन सुभद्रा देवी की तरफ से महात्मा विनोद भाटिया व आई हुई संगत का धन्यवाद किया। इस अवसर पर संचालक महात्मा बाल किशन बख्शी सिंह,  अमित धवन, सन्दीप कुमार तलवाड़ा आदि उपस्थित थे।

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here