गढ़शंकर (प्रदीप) 2019 के लोकसभा चुनाव में 2014 में भाजपा द्वारा किए चुनावी वादे व 2017 के विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा गुटका साहिब हाथ में लेकर ली गई ‘शपथ’ कांग्रेस का पीछा नहीं छोड़ रही है। चुनाव प्रचार के दौरान दोनों पार्टियो के उम्मीदवारों को इस वादों से पीछा छुड़ाने के लिए नए मुद्दों पर चुनाव प्रचार को फोकस करना पड़ रहा है। आनंदपुर साहिब लोकसभा क्षेत्र के गढ़शंकर हल्के के लोग 2014 में सत्ता हासिल करने के लिए नरिंदर मोदी नीत भाजपा द्वारा सत्ता में आने के बाद महंगाई को कम करने, डॉलर व पेट्रोल की कीमत कम करने, युवाओं को हर साल करोड़ों रोजगार देने, सरकार बनते ही विदेश से कालाधन लाकर देश के नागरिक के खाते में पंद्रह लाख रुपये डालने, महिला अपराध कम करने, एक के बदले दस सिर लाने जैसे कई वादे किए थे पर सत्ता हासिल करने के बाद सरकार द्वारा की गई नोटबंदी, एफडीआई व जीएसटी जैसे फैसले किए जिसकी आलोचना भी हुई तो गुणगान भी कर रहे हैं पर लोकसभा चुनाव में भाजपा व उसके सहयोगी दल इन मुद्दों पर चुनाव प्रचार करने की बजाए अन्य स्थानीय मुद्दों को उठा रहे हैं। ऐसा ही हाल कांग्रेस पार्टी के नेताओं का है जिन्हें चुनाव प्रचार के दौरान विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा सत्ता हासिल करने के लिए सिख धर्म के पवित्र गुटका साहिब को हाथ में लेकर ली गई शपथ जिसमें उन्होंने राज्य के लोगों से वादा किया था कि सत्ता प्राप्त करने के बाद उनकी सरकार चार हफ्तों में नशे को खत्म करने, अकालियों द्वारा लोगों पर किए झूठे मुकदमों को रद्द करने, बुजुर्गों को पेंशन दुगनी करने, दलित समाज की लड़कियों को शगन सकीम को बढ़ाने, विद्यार्थियों को स्मार्टफोन देने, घर घर नोकरी जा फिर बेरोजगार युवाओं को अढ़ाई हजार रुपये बेरोजगार भत्ता देने, किसानों व मजदूरों की सम्पूर्ण कर्जमाफी, गरीबों को पांच मरले के प्लाट देने, रेत बजरी माफिया पे लगाम कसने जैसे कई वादे किए थे जो पूरे नहीं हुए। विधानसभा चुनाव में लोकप्रिय हुआ नारा ‘चाहता है पंजाब कैप्टन की सरकार’ को लोग अब ‘रोता है पंजाब कैप्टन की सरकार को’ में तब्दील हो गया है। कांग्रेस पार्टी के विरोध में रमसा टीचर जिनका वेतन पंजाब सरकार ने पैंतालीस हजार से कम कर पंद्रह हजार रुपये कर दिया गया है, ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर क्योंकि कैप्टन ने ट्रांसपोर्ट यूनियन को भंग कर दिया है जिसके कारण इन ऑपरेटरों को रोजी रोटी के लाले पड़ गए हैं, कर्मचारी संघ के सदस्य व सरकार के फैसलों से त्रस्त सरकारी कर्मचारी कर रहे हैं।
दोनो दल अपने मैनिफेस्टो में घोषित मुद्दों को छोड़कर एक दूसरे उमीदवार को बाहरी बताकर लोगों के वोट प्राप्त करने में जुटे हुए हैं जबकि गढ़शंकर का मतदाता चुपचाप शांत मन से अपने भावों को मन में छुपाए 19 मई के इंतजार कर रहे हैं जब वह अपने मत का इस्तेमाल कर सके। मतदाताओं की चुपी दोनों दलों के नेताओं को अंदर ही अंदर चुभ रही है।