ज्योत्सना विज, होशियारपुर /एम.सी. चुनाव को अभी 6 महीने बाकी हैं पर चुनावी हलचल अभी से शुरु हो गई है। पिछले दिनों कांग्रेसी एम.सी. ब्रह्मशंकर जिंपा और मेयर शिव सूद के बीच शहर के विकास के मुद्दे को लेकर जंग छिड़ गई थी। दोनों एक दूसरे पर खूब पलटवार किए और अखबारों में ब्यान जारी किए। जिंपा ने सीधे तौर पर नगर निगम के आड़े हाथों लिया तो मेयर शिव सूद ने भी जिंपा को बरसाती पानी के निकास को लेकर राजनीति न करने की सलाह दी और कहा कि कभी जिंपा ने उनके समक्ष मामला नहीं उठाया। यह तो बात हुई कांग्रेसी एम.सी. और बीजेपी एम.सी. व मेयर शिव सूद के बीच की। जंग तो तब रोचक हो गई जब नवनियुक्त कांग्रेसी नेता राजेंद्र परमार ने ब्यान जारी किया कि जिंपा और मेयर दोनों ही वार्ड के विकास न होने के जिम्मेदार हैं। मेयर के खिलाफ तो मोर्चा खोलना लोगों की समझ आता है पर ब्रह्मशंकर जिंपा कांग्रेसी है उनके खिलाफ मोर्चा खोलना लोगों की समझ से परे है। आप को बताए देते हैं कि राजेंद्र परमार ने जुम्मा जुम्मा कांग्रेस ज्वाइन की है और पिछले एम.सी. चुनाव में उन्होंने बीजेपी की टिकट से ब्रह्मशंकर जिंपा के खिलाफ चुनाव लड़ा था और वो चुनाव हार गए थे। सूत्रों की माने तो यह ब्यान इसलिए दिया गया कि क्योंकि परमार कृष्णा नगर से खुद कांग्रेस की टिकट से चुनाव लडऩा चाहते हैं और जिंपा के खिलाफ ऐसे ब्यान देने से संभवत: वह जिंपा का कद घटाना चाहते हो। संक्षेप में यह टिकट की लड़ाई है। यही नहीं लोग तो यह भी कहते हैं कि राजेंद्र परमार ने कांग्रेस में रह कर अगर कांग्रेसी एम.सी. की जड़ें काटी हैं तो इसके पीछे किसी बड़ी राजनीतिक शय है क्योंकि बिना किसी सशक्त राजनीतिक सरंक्षण परमार जिंपा के खिलाफ ब्यान नहीं दाग सकते थे। परमार जब बीजेपी में थे तब वह पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री विजय सांपला के बहुत करीबी माने जाते थे। सूत्रों की माने तो विजय सांपला को परमार को टिकट दिलवाने में बहुत बड़ा हाथ था यही नहीं उन्होंने परमार के लिए जोर शोर से प्रचार भी किया परंतु जिंपा ने केंद्र और राज्य में सरकार न होने के बावजूद परमार को पटखनी दे डाली। समय बदला समय का पहिया बदला परमार ने बीजेपी का परित्याग कर कैबिनेट मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा के नेतृत्व में कांग्रेस का हाथ थाम लिया। विश्वसनीय सूत्रों से यह ज्ञात हुआ है कि परमार ने 2017 के इलेक्शन के दौरान कांग्रेस ज्वाइन करने के इच्छुक थे और रोचक बात यह है कि जब जिंपा एक्टिंग जिला प्रधान थे और अब 2019 में उन्होंने रस्मी तौर पर कांग्रेस को ज्वाइन कर लिया। और आते ही पहले परमार को पी.ए. बनाने को लेकर कांग्रेसियों में घमासान मचा रहा और अब जिंपा के खिलाफ मोर्चा खोलने से कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेता नाराज है। यही नहीं परमार ने अपने ब्यान में मेयर सहित 49 एम.सी. की कार्य प्रणाली को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। इसका मतलब जो कांग्रेस के 17 एम.सी. जीते है कहीं न कहीं उनकी कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान परमार न लगा दिया है। जब एम.सी. ब्रह्मशंकर से पूछा गया कि आपके सारे कांग्रेसी एम.सी. काम नहीं करते तो उन्होंने कहा कि परमार जी से कहिए जाकर जालंधर से एम.सी. ले आए। अब देखने वाली बात यह है कि इन्हीं जीते हुए एम.सी. के सहारे कैबिनेट मंत्री मेयर बनाने का सपना संजो रहे और उनका अपना ही कांग्रेसी नेता उनको काम न करने वाला बता रहा है। जो आग की लपटें मंत्री जी की कोठी से निकली है कहीं वह उनके मेयर बनाने के सपने को खाक न कर दें क्योंकि अगर परमार अपनी कार्यशैली के अनुसार ऐसे ही ब्यान कांग्रेसियों के खिलाफ दागते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब सीनियर कांग्रेसी बागी हो जाए और जाकर बीजेपी का दामन थाम लें। अब देखने वाली बात यह होगी मंत्री साहिब क्या करते हैं परमार को फटकार लगाते हैं या फिर जिंपा को गले लगाते हैं।