योग साधन आश्रम में गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व हर्षोल्लास से शुरू हुआ

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    होशियारपुर, जनगाथा टाइम्स: (रविंदर)

    गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व योग साधन आश्रम में हवन आरती पूजा के साथ कोरोना काल के सुरक्षा नियमों का पालन करते हुए हर्षोल्लास से शुरू हुआ। इस मौके पर भक्तों का मार्गदर्शन करते हुए आचार्य चंद्र मोहन अरोड़ा ने कहा कि यह पर्व हमारे देश में सनातन काल से चला आ रहा हैं। श्रावण मास की पूर्णिमा पर जब वर्षा काल में गुरुजन एक स्थान पर वास करते थे तब शिष्य उन द्वारा प्रदत योग शिक्षा का आभार व्यक्त करने के लिए उनकी पूजा हेतु उनके चरणों में आया करते थे।आज भी श्रद्धालु भगत अपने गुरु की पूजा एवं उनकी शिक्षाओं पर चलने के लिए योग आश्रम में आते हैं। गुरु का जीवन एक खुली किताब होता हैं। गुरु तो किसी भी मार्गदर्शक को कह सकते हैं। परंतु सतगुरु तो ईश्वर से युक्त होते हैं। उनके चेहरे से प्रकाश ब नूर झलकता हैं। उनके सानिध्य में बैठकर दिव्य तरंगों का आभास होता हैं। वे हर कार्य निश्चित समय पर करते हैं। 5 शत्रुओं 5 कलेश एवं योग मार्ग की बाधाएं व्याधि, प्रमाद, आलस्य से वह मुक्त होते हैं। राजसिक तामसिक सात्विक गुणों से ऊपर ईश्वर की तरह त्रिगुणातीत होते हैं। वह ग्रहस्थ में रहकर अछूते कमल समान जीवन व्यतीत करते हैं। सांसारिक जीवो का कल्याण करते रहते हैं। ऐसे सर्व गुणों से युक्त थे योगीराज सदगुरुदेव चमन लाल जी महाराज। उनके चरणों की पूजा करने हेतु देश के विभिन्न राज्यों से प्रभु भक्त योग आश्रम आए हुए हैं।

    उन्होंने कहा कि सद्गुरु चरणों में आने से पूर्व हमारा शरीर रोगों से ग्रस्त था तथा मन सांसारिक इच्छाओं, क्रोध, मोह, लोभ, दुख, चिंताओं, डिप्रेशन आदि से युक्त था। परंतु उनके चरणों में रहकर योग के साधनो का अभ्यास कर के शिष्य एक अच्छा रोग मुक्त जीवन व्यतीत कर रहे हैं। सांसारिक प्रलोभनओ से दूर रहकर यम व नियम की पालना करते हुए आत्मा में रहकर दुख सुख को एक समान समझते हुए और संसार में रहते हुए इससे अछूते रहकर शिष्य मानसिक दुखों व चिंताओं से इस कलयुग में भी मुक्त रहकर तनाव मुक्त सुंदर जीवन व्यतीत कर रहे हैं। आज के दिन उनके शिष्यों ने उनकी शिक्षाओं को जीवन में धारण करने का संकल्प लिया। इस अवसर पर शकुंतला ने सफर कितना भी मुश्किल हो गुरु आसान कर देंगे भजन गा कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।

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