कोविड-19 से प्रभावित होना स्टिगमा नहीं है: डा. बग्गा

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    होशियारपुर, जनगाथा टाइम्स: (सिमरन)

    होशियारपुर : वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से जनसाधारण भयभीत है एवं समाज में भी भय का वातावरण है। लाकडाऊन में डर के कारण भी लोग घरों में रह रहे हैं क्योंकि शारीरिक दूरी बनाकर रखने से इस महामारी के विरूद्ध सफलता प्राप्त की जा सकती है। मगर सामाजिक दूरी के परामर्श को कोविड-19 से प्रभावित रोगियों व संदिग्ध मरीजों से किसी प्रकार की नफरत अमानविय कृत्य है। सामाजिक जागरूकता हेतु डा. अजय बग्गा ने जारी एक प्रैस विज्ञाप्ति में कहा कि केन्द्र व राज्य सरकारों को बड़े स्तर पर अभियान प्रारंभ करना चाहिए ताकि कोरोना वायरस से प्रभावित व संदिग्ध मरीजों को प्रति किसी के भी मन में नफरत उत्पन्न न हो। उन्होंने कहा कि हमारे देश में एच.आई.वी. संक्रमित व एड्ज मरीजाों के प्रति शुरूआत में समाज के एक वर्ग द्वारा भेदभाव किया जाता था व कुछ व्यक्ति इसे नफरत की दृष्टि से देखते थे मगर, जागरूकता अभियान के परिणाम स्वरूप एड्स एक सामाजिक कलंक नहीं है।

    डा. बग्गा ने कहा कि झूठी अफवाहों के चलते कुछ स्थानों पर कोविड-19 रोगियों, संदिग्ध रोगियों व कोरोना विरूद्ध युद्ध में संघर्षरत योद्धाओं से भेदभाव करते हुए मकानमालिकों द्वारा घर खाली करने को भी कहा जा रहा है। इस प्रकार समाज में नफरत का वातावरण बनने की संभावना बनी रहती है। संदिग्ध रोगियों हेतु बनाए जा रहे अलग केन्द्रों पर भी कुछ व्यक्तियों तो आशंका उत्पन्न होती है कि हमारे क्षेत्र में यह केन्द्र न ही बने तो अच्छा है। डा. बग्गा ने कहा कि कोरोना वायरस से प्रभावित व संदिग्ध रोगियों से केवल शारीरिक दूरी बनाए रखने से व बार-बार साबुन से हाथ धोने से ही कोरोना से बचा जा सकता है।

    डा. बग्गा ने राजनीतिक व धार्मिक क्षेत्र से संबंधित नेताओं से अनुरोध किया कि कोरोना से पीडि़त किसी भी प्रकार के भेदभाव व नफरत विरूद्ध अभियान में आवाज बुलंद करें। उन्होंने कहा कि कोरोना विरूद्ध संघर्ष में कार्यरत योद्धा जैसे स्वास्थ्य कर्मी, सुरक्षा बल, सफाई कर्मी, रोहड़ीवाले जब मिलें तो उनपर फूल बरसाकर आभार व्यक्त करें।

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