चंडीगढ़।तेजपाल। पंजाब के चार मंत्रियों द्वारा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर अविश्वास प्रकट करने के बाद अब अमरगढ़ के विधायक सुरजीत धीमान ने भी बगावती सुर अपना लिए हैं। धीमान का कहना है कि अगर 2022 के चुनाव कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में लड़ा जाएगा तो वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। यही नहीं, उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव में नवजोत सिंह सिद्धू को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने की मांग की है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब धीमान ने सिद्धू का समर्थन किया हो। धीमान सिद्धू के हक में हमेशा ही खड़े नजर आते हैं।
धीमान ने कहा, ”कैप्टन अमरिंदर सिंह हमारे मुख्यमंत्री है, लेकिन 2022 में अगर चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा जाएगा तो मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा।” हालांकि इसके पीछे का कारण का उन्होंने खुलासा नहीं किया। वह कहते हैं, यह मेरा व्यक्तिगत फैसला है। धीमान ने 2017 में भी कैप्टन अमरिंदर सिंह की मुसीबतें तब बढ़ा दी थी जब 31 जुलाई को उन्होंने एक समारोह में कहा था कि ड्रग्स की सप्लाई अभी भी वैसे ही जारी है जैसा अकाली सरकार में होती थी। यह वह समय था जब मुख्यमंत्री ने ड्रग्स को खत्म करने के लिए एसआइटी का गठन किया था और हरप्रीत सिद्धू को इसकी कमान सौंपी थी। धीमान के इस बयान से सरकार की खासी किरकिरी हुई थी।
पिछले माह कांग्रेस के चार मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखबिंदर सिंह सरकारिया, सुखजिंदर रंधावा, चरणजीत सिंह चन्नी और विधायक परगट सिंह ने मुख्यमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रकट किया था और उन्होंने पार्टी हाईकमान से उन्हें बदलने की मांग भी की थी। हालांकि पार्टी हाईकमान ने मंत्रियों की मांग पर ध्यान नहीं दिया था, लेकिन पार्टी में उठ रही बगावत को शांत करने के लिए प्रदेश प्रभारी हरीश रावत को पंजाब आना पड़ा था। रावत के हस्तक्षेप के बाद मुुख्यमंत्री के खिलाफ हुई बगावत का मुद्दा शांत पड़ने लगा था, लेकिन सुरजीत धीमान के बयान से कांग्रेस के बगावत को और हवा मिली है।
धीमान का कहना है कि सिद्धू को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाया जाना चाहिए, क्योंकि वह पंजाब के साथ खड़े रहते हैं। वह पार्टी के प्रदेश प्रधान भी हैं। हालांकि उनका यह भी कहना है कि यह उनके निजी विचार हैं। बता दें, प्रताप सिंह बाजवा के हाथों में जब प्रदेश प्रधान की कमान थी तब भी धीमान ने कहा था कि अगर बाजवा की अगुवाई में 2017 के चुनाव लड़े गए तो वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। 2017 का चुनाव कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में लड़ा गया था।