गौतम अडानी का बड़ा ऐलान, न्यू एनर्जी और डेटा सेंटर्स बिजनेस में करेंगे 100 अरब डॉलर का निवेश

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बिजनेस :  अडानी ग्रुप अगले दशक में 100 अरब डॉलर से अधिक का निवेश करेगा। यह निवेश मुख्य रूप से न्यू एनर्जी और डेटा सेंटर सहित डिजिटल सेक्टर में किया जाएगा। ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स के मुताबिक, दुनिया के तीसरे सबसे धनी व्यक्ति गौतम अडानी ने कहा कि इस निवेश का 70 फीसदी हिस्सा एनर्जी ट्रांजिशन सेक्टर में किया जाएगा।

शिपिंग पोर्ट से लेकर एनर्जी बिजनेस में शामिल अडानी ग्रुप आने वाले दिनों में 45 गीगावाट हाइब्रिड रीन्यूएबल एनर्जी प्रोडक्शन करेगा। इसके अलावा सोलर पैनल, एयर टर्बाइन और हाइड्रोजन इलेक्ट्रोलाइजर बनाने के लिए तीन कारखानों को लगाया जाएगा।

फोर्ब्स ग्लोबल CEO सम्मेलन में गौतम अडानी ने किया ऐलान

अडानी ग्रुप के फाउंडर और चेयरमैन गौतम अडानी ने फोर्ब्स ग्लोबल CEO सम्मेलन में कहा, “एक ग्रुप के रूप में, हम अगले दशक (10 सालों में) 100 अरब डॉलर से ज्यादा की पूंजी का निवेश करेंगे। हमने इस इंवेस्टमेंट का 70 फीसदी हिस्सा एनर्जी ट्रांजिशन सेक्टर के लिए तय किया है।” इस सम्मेलन का आयोजन सिंगापुर में किया गया। गौतम अडानी ने कहा, “हमारे मौजूदा 20 गीगावाट पोर्टफोलियो के अलावा, नए व्यवसाय को 45 गीगावाट हाइब्रिड नवीकरणीय बिजली उत्पादन द्वारा बढ़ाया जाएगा। यह उद्यम 100,000 हेक्टेयर भूमि में फैला हुआ है, जो सिंगापुर का 1.4 गुना क्षेत्र है। इससे तीन करोड़ टन ग्रीन हाइड्रोजन का व्यावसायीकरण होगा।

जानें अडानी ग्रुप की लगने वाली तीन फैक्ट्री के बारे में

10 गीगावॉट सिलिकॉन आधारित फोटोवोल्टिक मूल्य-श्रृंखला के लिए, रॉ सिलिकॉन से लेकर सोलर पैनल तक को एकीकृत करेगी

10 गीगावॉट की एकीकृत पवन टरबाइन विनिर्माण संयंत्र

पांच गीगावॉट हाइड्रोजन इलेक्ट्रोलाइजर फैक्टरी

उन्होंने कहा, ”आज हम ग्रीन इलेक्ट्रॉन के सबसे कम खर्चीले उत्पादक हैं और हम सबसे कम लागत में ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन भी करेंगे।” गौतम अडानी ने आगे कहा, “भारतीय डेटा सेंटर बाजार तेजी से बढ़ रहा है। यह फील्ड दुनिया के किसी भी अन्य उद्योग की तुलना में अधिक ऊर्जा की खपत करता है और इसलिए ग्रीन डेटा सेंटर बनाने का हमारा कदम एक बहुत बड़ा बदलाव है।” उन्होंने कहा कि भारत अविश्वसनीय अवसरों से भरा है और वास्तविक भारत के विकास की कहानी अभी शुरू हो रही है। अडानी ने चीन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कभी ग्लोबलाइजेशन में अग्रणी रहा यह देश अब चुनौतियों का सामना कर रहा है।

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