हैल्थ डैस्कः विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक वर्तमान में दुनिया का हर आठवां व्यक्ति किसी न किसी रूप में मानसिक विकार से ग्रसित हैं। आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया भर में लगभग एक अरब लोग किसी न किसी रूप में मानसिक विकार से पीड़ित हैं। इसमें सात पीड़ितों में से एक किशोर शामिल है। कोरोना महामारी से के बाद मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों की संख्या में भी बड़ा इजाफा हुआ है।
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनएमएचपी) के आंकड़ों के अनुसार, भारत की 6-7 प्रतिशत जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मानसिक विकारों का सामना कर रही है। कोरोना महामारी के बाद देश में मानसिक रूप से अस्वस्थ्य लोगो की संख्या तेजी से बढ़ी है। भारत में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर कम जागरूकता इस समस्या का प्रमुख कारण है। साल 2018 में जारी लांसेट मेन्टल हेल्थ की रिपोर्ट की मानें तो भारत में 80 प्रतिशत मानसिक रोगियों को उपचार ही नहीं मिलता है।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर दुनिया की सेहत पहले से ही सही नहीं थी मगर कोरोना महामारी के पहले वर्ष में ये स्थित बद से बदतर हो गई। लोगों के अवसाद और चिंता जैसी सामान्य स्थितियों की दर में 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई। रिपोर्ट के मुताबिक, औसतन देश अपने स्वास्थ्य देखभाल बजट का केवल 2 प्रतिशत से भी कम मानसिक स्वास्थ्य पर खर्च करते हैं। नतीजतन, जरूरतमंद लोगों के केवल एक छोटे से हिस्से का ही प्रभावी, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच हो पाती है।