गोरखपुर। न्यूज़ डेस्क। यूपी में एक ऐसा डॉन हुआ जो 25 साल की उम्र दहशत का दूसरा नाम बन गया था। अपने आपराधिक इतिहास में श्रीप्रकाश ने 20 से ज्यादा हत्याओं को अंजाम दिया था। श्रीप्रकाश के बारे में कहा जाता था कि वह सामने वाले की बात सुनने से ज्यादा गोली मारने में यकीन रखता था। 90 के दशक में खौफ का पर्याय बन चुके शुक्ला ने यूपी के अलावा कई अन्य राज्यों की पुलिस के नाक में दम कर रखा था।
गोरखपुर जिले में पैदा हुए श्रीप्रकाश शुक्ला ने पहली हत्या तब की थी, जब गांव के एक युवक ने उसकी बहन को छेड़ दिया था। उस वक्त पिता ने कहा कि आत्मसमर्पण कर दो लेकिन शुक्ला नहीं माना और फिर बन गया पूर्वांचल का सबसे बड़ा और युवा डॉन। हालांकि, जब पुलिस ने उस पर एक्शन की तैयारी की तो पुलिस रिकॉर्ड में उसकी तस्वीर ही नहीं मिली। अब संशय था कि श्रीप्रकाश को ढूंढा कैसे जाए?
श्रीप्रकाश शुक्ला की तस्वीर को ढूंढने के पीछे यूपी पुलिस ने कई दिनों तक अलग-अलग जगह दबिश डाली थी, जिनमें शुक्ला के दोस्त भी शामिल थे। वहीं कहा जाता है कि श्रीप्रकाश ने कह रखा था कि अगर कोई भी उसकी तस्वीर पुलिस को देगा तो 24 घंटे के भीतर उसकी हत्या निश्चित है। श्रीप्रकाश की यह धमकी उसे जानने-पहचानने वालों के लिए बुरी शामत जैसी थी।
दूसरी तरफ, श्रीप्रकाश राजनीतिक वरदहस्त के चलते बड़ा होता चला जा रहा था। माना जाता था कि शुक्ला के ऊपर बिहार के बाहुबली सूरजभान सिंह का हाथ था। वहीं जब सियासी गलियारों में खबर फैली कि यूपी के इस डॉन ने तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह की हत्या की सुपारी ली है तो पुलिस अफसर किसी भी तरह से उसे ढूंढ निकालना चाहते थे। लेकिन समस्या यही थी कि अगर शुक्ला का स्केच भी बनवाया जाए तो कैसे? उसके लिए तस्वीर जरूरी थी और गवाह कोई तैयार था नहीं।
इसी बीच पुलिस को मुखबिरों से पता चला कि उसके रिश्ते में बहनोई लगने वाला एक शख्स लखनऊ के हजरतगंज इलाके में रहता है। साथ ही पता चला कि शुक्ला ने ही उसे कुछ दिनों पहले लाटरी का बिजनेस करवाया था। ऐसे में पुलिस दबिश देने पहुंची तो दंपति ने शुक्ला से किसी भी रिश्ते से इंकार कर दिया, लेकिन छानबीन में शुक्ला की एक फोटो बेटी के जन्मदिन के एल्बम में मिल गई, जिसकी पुष्टि घरवालों ने भी कर दी।
श्रीप्रकाश की फोटो मिल चुकी थी, लेकिन इसमें केवल गर्दन ही थी। ऐसे में पुलिस ने उसकी तस्वीर को बॉलीवुड अभिनेता सुनील शेट्टी के पोस्टरकार्ड पर काट कर चिपका दिया। चेहरा शरीर के साथ बिल्कुल फिट बैठ गया और वही तस्वीर फोटोकॉपी की शक्ल में मीडिया सहित चारों तरफ फैला दी गई। जिसके कुछ महीनों बाद 22 सितंबर 1998 को गाजियाबाद के इंदिरापुरम के पास मुठभेड़ में श्रीप्रकाश शुक्ला व उसके साथियों को मार गिराया गया था।