लुधियाना : 11 जुलाई से एक बार फिर पंजाब में रेवेन्यू ऑफिसर यूनियन कामकाज ठप्प कर हड़ताल करने जा रही है। हालांकि यूनियन ने सरकार से सस्पेंड हुए अपने साथियों की बहाली और प्रधान और महासचिव को जारी चार्जशीट को तुरंत वापस लेने संबंधी सोमवार तक का अल्टीमेटम दिया है, अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो एक बार फिर पूरे पंजाब में रेवेन्यू से संबंधी कामकाज रुक जाएगा, इसी के साथ पंजाब कानूनगो और पटवार यूनियन द्वारा मिले समर्थन के बाद तहसीलदार यूनियन के तेवर और भी तीखे हो गए हैं।
असल में यह सारा विवाद बिना एन.ओ.सी. रजिस्ट्रियां करने वाले 2 तहसीलदारों और एक नायब तहसीलदार को सस्पेंड करने संबंधी सरकार द्वारा लिए फैसले के बाद शुरू हुआ था। अपने साथियों की बहाली को लेकर पंजाब रेवेन्यू ऑफिसर यूनियन द्वारा प्रधान गुरदेव सिंह धम्म और महासचिव सुखदर्शन सिंह चन्नी की अगुवाई में हड़ताल की गई थी जिससे पंजाब के सभी तहसीलों में रजिस्ट्रियों के कामकाज के साथ बाकी काम भी बुरी तरह से प्रभावित हुए थे।
कुछ दिनों तक चली हड़ताल के बाद सरकार ने यूनियन के साथ मीटिंग कर सस्पेंड किए अधिकारियों को बहाल करने सहित उनकी अन्य मांगों को भी जल्द मानने का आश्वासन देकर हड़ताल को खत्म करवाने में सफलता हासिल की थी जिसके बाद पंजाब में कामकाज शांतिपूर्ण ढंग से चलने लगा था कि अचानक यूनियन प्रधान धम्म और महासचिव चन्नी को राजस्व विभाग के सचिव ने चार्जशीट करते हुए 21 दिनों में अपना जवाब देने अथवा नियमों के तहत सख्त सजा देने की बात कही थी।
चार्जशीट में सचिव ने आरोप लगाया था कि हड़ताल दौरान धम्म की तरफ से जो पत्र जारी किया गया था, उसमें सरकार के प्रति नादिरशाही फरमान, सियासी बदलाखोरी जैसे शब्दों का प्रयोग करने और करप्शन के आरोप में सस्पेंड हुए साथियों की मदद करते हुए सचिव द्वारा एन.ओ.सी. को लेकर जारी स्पीकिंग आर्डर का गलत तर्जुमा करने जैसे आरोप लगते हुए तय समय में अपना जवाब देने के लिए कहा गया था। चार्जशीट मिलने के बाद प्रधान धम्म द्वारा इसे बोलने की आजादी पर हमला करार देते हुए आरोप लगाया गया था कि कुछ उच्च अधिकारी जानबूझ कर ऐसा करके सरकार की छवि खराब करने का प्रयास कर रहे हैं।