भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2 साल के निचले स्तर पर, क्या होगा गिरावट का असर?

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मुंबईः देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट आ रही है और यह घटकर दो साल के निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। विदेशी मुद्रा भंडार 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 3.847 अरब डॉलर घटकर 524.52 अरब डॉलर रह गया। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली। इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 4.50 अरब डॉलर घटकर 528.37 अरब डॉलर रह गया था। पिछले कई महीनों से विदेशीमुद्रा भंडार में कमी होती देखी जा रही है।

अक्टूबर 2021 में सबसे ऊंचे स्‍तर पर था

एक साल पहले अक्टूबर 2021 में देश का विदेश मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। देश के मुद्रा भंडार में गिरावट का मुख्य कारण यह है क‍ि रुपए की गिरावट को थामने के लिए केंद्रीय बैंक व‍िदेशी मुद्रा भंडार से मदद ले रहा है। अक्टूबर 2021 से अब तक रुपए में गिरावट की वजह से आरबीआई घरेलू करेंसी के मूल्य को गिरावट से बचाने के लिए 100 अरब डॉलर से ज्यादा लगा चुका है।

रिजर्व बैंक की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार, 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में मुद्रा भंडार का महत्वपूर्ण घटक मानी जाने वाली, विदेशी मुद्रा आस्तियां (FCA) 3.593 अरब डॉलर घटकर 465.075 अरब डॉलर रह गई। आंकड़ों के अनुसार देश का स्वर्ण भंडार मूल्य के संदर्भ में 24.7 करोड़ डॉलर घटकर 37,206 अरब डॉलर रह गया। केंद्रीय बैंक ने कहा कि विशेष आहरण अधिकार (SDR) 70 लाख डॉलर बढ़कर 17.44 अरब डॉलर हो गया है।

क्या होगा व‍िदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर?

व‍िदेशी मुद्रा भंडार की मदद से कोई भी देश जरूरत पर अपनी करेंसी में आई गिरावट को थामने के लिए उच‍ित कदम उठा सकता है। आयात पर न‍िर्भर रहने वाले देशों पर इसका सबसे ज्‍यादा असर पड़ता है। दरअसल, मुद्रा में ग‍िरावट से आयात महंगा हो जाता है और सामान के बदले ज्‍यादा कीमत चुकानी होती है। भुगतान की क्षमता पर असर पड़ने से आयात रुकने लगता है और देश में सामान की कमी हो सकती है।

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