कपूरथला /गौरव मढ़िया /पुष्पा गुजराल साइंस सिटी द्वारा चार्लस डार्बिन के जन्म दिन पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया। इस मौके पंजाब के अलग-अलग विद्यिक अदारों से 100 के करीब विद्यार्थियों व अध्यापकों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर संबोधन करते हुए साइंस सिटी के डायरैक्टर जनरल डा. नीलिमा जैरथ ने कहा कि महान विज्ञानी चार्लस डार्बिन का जन्म दिन उनके द्वारा मनुष्यता व विज्ञान के क्षेत्र में डाले गए बहुमुल्य योगदान की याद में हर साल मनाया जाता है। उनके सिद्धांत ने जहां पुराने अंध विश्वासों को दूर रने में मदद की वहीं यह बताया कि अलग-अलग प्रजातियां व किस्मों का गठन उस सर्व शक्ति मान कुदरत की ही देन है। उन्होंने कहा कि किताब, ओरीज़न अाफ स्पीजसिज़ को विकासवादी जीव विज्ञान के सिद्धांत का आधार माना जाता है। यह किताब उन्होंने सभी शंकों व अनुमानों का जवाब देती है जो धरती की ऊमर व ढूंढे गए पुरातन जैविक के निशानों (फौसिल) बारे पाए जाते है। इसके अलावा डा. चार्लस का जन्म दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को विज्ञानिक सोच, काम व नई दृष्टीकौण ढूंढने की उत्साहिक्ता व सच्चाई की भूख की महत्ता की तरफ प्रेरित करना है।
इस मौके पर आईशर मोहाली के जीवन विज्ञान के प्रोफैसर व कौमांतरी तथा बाहरी संबंधों के डीन डा. एनजी पसाद मुख्य प्रवक्ता के रुप में शामिल हुए। उन्होंने विद्यार्थियों को जानकारी देते हुए बताया कि अपने आस-पास जो भी जीवन की सुंदर विभिन्नता को देखते है, वह करोड़ों वर्षों के विकास का परिणाम है। उन्होंने बताया कि अफ्रीका के लोग जिराफ को ऊंठ, चीता या स्पोटड कहते है। इन लोगों ने पहली बार इस को देखा था इसकी गर्दन को ऊंठ जैसी व शरीर पर चीते की तरह धब्बे थे। इसकी अलग विशेषताएं जैसे बड़े आकार का दिल, लंबी कौली जैसी नाड़े आदि है। जिराफ की लंबी गर्दन की खोज विकासवाद की गुंझलदार सुंदरता को समझने में मददगार है।
इस मौके पर संबोधन करते हुए साइंस सिटी के डायरैक्टर डा. राजेश ग्रोवर ने कहा कि डार्बिन चार्लस के सिद्धांस का मानव विज्ञान पर बहुत ज्यादा प्रभाव देखा गया है। उन्होंने बताया कि डार्बिन की खोज व दिए गए विचारों के बाअद मनुष्य का विकास, विभिन्नता, पर्यावरण व पीढ़ीदार पीढ़ी चलने वाली बहुत सारी समस्याओं की खोज हुई है।