क्या हुआ जब रेडबुल के वारिस को कत्ल की सजा से बचाने के लिए बदल दिए गए सबूत – पढ़िए पूरा किस्सा

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नई दिल्ली। इंटरनेशनल डेस्क। थाईलैंड में 3 सितम्बर, 2012 में सुबह 5 बजे बैंकॉक में ड्यूटी में तैनात पुलिस सार्जेंट विशेइन क्लानप्रासर्ट बाइक पर बैठकर एक वारदात की सूचना पर मौके पर जा रहे थे। तभी एक स्लेटी रंग की फरारी ने उनकी बाइक को टक्कर मारी और सार्जेंट विशेइन हवा में उछाल कर दूर जा गिरे। फिर फरारी सार्जेंट के शरीर को कई मीटर तक घसीटते हुए चली गई। वारदात के बाद पुलिस पहुंची तो देखा कि सड़क पर एक लकीर में दूर तक तेल बह रहा था।

इस भयानक हादसे के बाद पुलिसकर्मियों ने इसी तेल को अपना सहारा बनाया और उस अंतिम जगह जा पहुंचे। पुलिसवालों के सामने एक बड़ी से हवेली थी, अब पुलिसकर्मी हैरान थे क्योंकि यह घर रेड बुल एनर्जी ड्रिंक के मालिक चलेयाउ यूविथिया का था। चलेयाउ यूविथिया ने ही रेड बुल ड्रिंक बनाई थी और 1987 में एक बिजनेसमैन के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यवसाय शुरू किया था। खैर, पुलिसकर्मियों ने फौरन सर्च वारंट जारी कराया और घर में तलाशी के लिए जा पहुंचे।

पुलिस को गराज में एक दुर्घटनाग्रस्त स्लेटी (Gray) फरारी गाड़ी मिली, जिसका अगला हिस्सा धंसा हुआ और एयरबैग खुले हुए थे। यह कार चलेयाउ यूविथिया के पोते वोरायूथ उर्फ़ बॉस के नाम पर रजिस्टर्ड थी। पुलिस ने पूछताछ की तो परिजनों ने एक आदमी खड़ा करते हुए कहा कि गाड़ी यही चला रहा था लेकिन बाद में जब पुलिस ने नशे में धुत्त वोरायूथ से पूछा तो उसने सार्जेंट विशेइन को उड़ाने की बात कबूल ली। जांच में पता चला कि वो 177 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से कार चला रहा था।

वोरायूथ पर पुलिस ने हिट एंड रन समेत कई केस दर्ज किए लेकिन अरबपति बाप के बेटे को मिनटों में जमानत मिल गई, फिर वोरायूथ देश छोड़कर भाग गया। बीतते वक़्त, अदालत में तारीखे मिलने के साथ शुरू हुआ केस में सबूत बदलने का दौर। साल 2016 आते-आते फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने कहा, ऐक्सिडेंट के वक़्त वोरायूथ की गाड़ी बस 79 की स्पीड में थी। केस में तथ्य बदलने की ख़बरों से देश में हंगामा छिड़ गया और रेडबुल का बहिष्कार करने की मांग उठी।

साल 2017 में भारी दबाव के बीच वोरायूथ के खिलाफ़ इंटरपोल वारंट भी जारी हुआ। फिर दो साल बाद 2019 में अचानक दो चश्मदीद वोरायूथ की तरफ से आए और कहा कि गाड़ी 50-60 के स्पीड में थी। लेकिन साल 2020 में मामले में ट्विस्ट तो तब आया जब अटॉर्नी जनरल ऑफिस ने कहा कि वोरायूथ पर दर्ज़ केस वापस ले लिए गए हैं। नाराज़ जनता सड़कों पर थी और गूंज संसद तक पहुंची तो देश के पीएम ने जवाब देते एक जांच समिति बनाई।

 

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