क्या होते हैं ‘Black Spots’, जो हाई-वे पर होने वाली मौतों के पीछे बनते हैं जिम्मेदार? जानें

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होशियारपुर। न्यूज़ डेस्क। भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) पर 60 प्रतिशत ‘ब्लैक स्पॉट’ (खतरनाक क्षेत्र) को अब दुरुस्त कर दिया गया है, जहां तीन साल में सड़क दुर्घटनाओं में 28,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। यह जानकारी आधिकारिक आंकड़ों में दी गई है।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत दी गई एक अर्जी में पूछे गये सवाल के जवाब में कहा है कि 2016, 2017 और 2018 में 57,329 सड़क दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार रहे इन ‘ब्लैक स्पॉट’ को दुरुस्त करने के लिए 4,512.36 करोड़ रुपये खर्च किये गये। इन्हें दुरुस्त करने का कार्य 2019 में शुरू किया गया।
‘‘2015 से 2018 के दुर्घटना के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार कुल 3,966 ‘ब्लैक स्पॉट’ की पहचान की गई।’’ इसने कहा, ‘‘2019-20 में 729 ‘ब्लैक स्पॉट’ को दुरुस्त किया गया, जबकि 2020-21 में यह संख्या 1103 रही। 2021-22 में सितंबर 2021 तक 583 ‘ब्लैक स्पॉट’ को दुरुस्त किया गया।’’

प्राधिकरण के पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, राष्ट्रीय राजमार्गों पर 3,996 ‘ब्लैक स्पॉट’ पर कुल 57,329 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 28,765 लोगों की मौत हुई। इसने कहा कि कुल 60.43 प्रतिशत ‘ब्लैक स्पॉट’ दुरुस्त कर दिये गये।

राज्यों में, सर्वाधिक मौतें तमिलनाडु में (4,408) हुईं और इसके बाद उत्तर प्रदेश (4,218) का स्थान है। आंकड़ों के मुताबिक, सर्वाधिक 496 ‘ब्लैक स्पॉट’ तमिलनाडु में हैं, जिसके बाद पश्चिम बंगाल (450), आंध्र प्रदेश (357), तेलंगाना (336) और उत्तर प्रदेश (327) का स्थान है।

बता दें कि ‘ब्लैक स्पॉट’ राष्ट्रीय राजमार्गों का करीब 500 मीटर का वह हिस्सा है, जहां तीन वर्षों में पांच सड़क दुर्घटनाएं हुई हों या इन तीन वर्षों में वहां कुल 10 लोगों की जान गई हो। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के मुताबिक, ‘ब्लैक स्पॉट’ खंड के दायरे में वे सड़क दुर्घटनाएं आती हैं, जिनमें लोगों की मौत हुई हो या गंभीर रूप से घायल हुए हों।

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