पठानकोट : आम आदमी पार्टी को सत्ता में आए 100 दिन का समय होने जा रहा है परंतु भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मान सरकार जिस प्रकार की सख्ती और दृढ़ इच्छा शक्ति दिखा रही है वह धीरे-धीरे पंजाब की जनता को प्रभावित कर रही है। परिणामस्वरूप कुछ ऐसे स्कैंडल बाहर आ सकते हैं जिसकी आमजन ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी।
सेहत विभाग में अचानक यह बात सामने आई कि आयुष्मान भारत-मुख्यमंत्री सेहत बीमा योजना जिसके अंतर्गत पंजाब की जनता का इलाज होता था, को एकतरफा चुनावों से कुछ समय पहले पंजाब सरकार ने ही कांट्रैक्ट को रद्द कर दिया जबकि मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट को लगने में कुछ दिन ही शेष थे। यह कारनामा भी कांग्रेस की चन्नी सरकार जाते-जाते कर गई। देखने में यह साधारण बात लगती है परंतु सेहत बीमा कम्पनी को कांट्रैक्ट से बाहर निकलने का रास्ता मिल गया।
अब यह मामला पंजाब की मान सरकार के ध्यान में आ चुका है और संभावना है कि जनता को इस पर हैरान करने वाले परिणाम देखने को मिलेंगे। यह हैल्थ इंश्योरैंस स्कीम 20 अगस्त 2019 को लागू की गई थी जिसके अंतर्गत लगभग 45 लाख परिवार आए थे और लगभग प्रदेश की दो तिहाई जनसंख्या इस स्कीम का लाभ उठा रही थी। इसके चलते 5 लाख रुपए प्रति परिवार प्रतिवर्ष बिना पैसे दिए प्राइवेट अस्पतालों से इलाज करवा सकते थे।
दुखद बात यह है कि 29 दिसम्बर 2021 को रहस्यमयी तरीके से यह कांट्रैक्ट सरकार ने ही रद्द कर दिया जबकि इसका समय 18 अगस्त 2022 तक था। कम्पनी का कांट्रैक्ट रद्द करने के पीछे यह कारण बताया गया कि अस्पताल को पेमैंट देने में 15 दिन से अधिक का समय लग रहा है।
हैल्थ सैक्रेटरी के मुख्यमंत्री को लिखे नोट से मामला उछला
पंजाब हैल्थ सैक्रेटरी अज्वाय शर्मा ने मुख्यमंत्री को इस संबंध में नोट लिखा है कि इस अनुबंध के रद्द होने से इंश्योरैंस फर्म सभी लायबिलिटियों से बच गई और इस स्कीम का फायदा ले रहे मरीजों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा, क्योंकि इस योजना से जुड़े प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों ने रोगियों का इलाज करने से मना कर दिया।