घर के बड़े बुजुर्गों का रखें विशेष ध्यान, 60 की उम्र के बाद बढ़ जाता है इन 5 बीमारियों का खतरा

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हैलथ : वृद्ध वयस्कों को प्रभावित करने वाले मुद्दे जैसे स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं, परिजनों द्वारा दुर्व्यवहार के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए वरिष्ठ नागरिक दिवस मनाया जाता है। हर साल 21 अगस्त यानी आज का दिन Senior Citizen Day के रूप में मनाया जाता है। यह समाज में वृद्ध लोगों के योगदान को पहचानने और स्वीकार करने का भी दिन होता है।

भारत को सबसे युवा देश कहा जाता है, क्योंकि यहां की लगभग 55.4 प्रतिशत आबादी 15-60 उम्र की है। लेकिन आज हम उस आबादी की बात कर रहें जो 60 साल या इससे ज्यादा की उम्र के दायरे में पहुंच चुकी है। इस उम्र में पहुंचने के बाद व्यक्ति का शरीर पहले जैसा परिश्रम करने वाला, बीमारी से जल्दी रिकवर करने वाला, इंफेक्शन आदि से लड़ने वाला नहीं रह जाता है। माना जाता है कि बुढ़ापा बचपन सा ही होता है। ऐसे में यदि आपके घर में बड़े- बुजुर्ग हैं तो यह आपकी जिम्मेदारी हैं कि उनके स्वास्थ्य संबंधी जरूरी बातों को जान लें। जिससे उन्हें बाकी उम्र में किसी तरह का कष्ट न देखना पड़े।

वेस्टा एल्डर केयर के संस्थापक श्री राहुल मिश्रा बताते हैं कि वृध्द लोगों में स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां पारिवारिक इतिहास, उम्र और जीने के तरीके से बहुत प्रभावित होता है। ऐसे में समझदारी इसमें ही है कि यदि आपके घर में बड़े बुजुर्ग हैं तो उन्हें समय-समय पर नियमित जांच के लिए डॉक्टर के पास लें जाएं। साथ ही डॉक्टर ने उन कुछ सामान्य बीमारियों के बारे में भी जानकारी दी है जो वृद्धावस्था में चिंता का विषय बन सकती है।

​निमोनिया और फ्लू को जोखिम हो जाता है दोगुना

निमोनिया और फ्लू भले ही पुरानी बीमारियां हैं लेकिन वरिष्ठ नागरिकों में ये बीमारी बेहद आम होती है। वृद्ध लोगों के शरीर में इन बीमारियों से लड़ने की क्षमता नहीं होती है। ऐसे में एक्सपर्ट वरिष्ठ लोगों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए, हर साल फ्लू के टीकाकरण की सलाह दी जाती है।

​श्वसन संबंधित परेशानी

65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों में श्वसन संबंधी विकार जैसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। यहां तक कि एक लंबे समय से सांस संबंधित बीमारी होने से निमोनिया और अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों से ग्रसित होने का जोखिम कई गुना तक बढ़ जाता है। ऐसे में फेफड़ों के कार्य परीक्षण के दौरान, सही दवाएं लेने, या निर्देशानुसार ऑक्सीजन का उपयोग करने से स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता की रक्षा करने में मदद मिल सकती है।

​बढ़ जाता है ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा

50 से अधिक उम्र के वयस्कों में फ्रैक्चर या हड्डी टूटने का खतरा होता है, जो उनके जीवन की गुणवत्ता और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। दरअसल, ऐसा ऑस्टियोपोरोसिस या कम अस्थि द्रव्यमान के कारण होता है। ऑस्टियोपोरोसिस से ग्रसित होने से व्यक्ति कम गतिमान या विकलांग भी हो सकता है। ऐसे में नियमित मेडिकल जांच के साथ जरूरी है भरपूर मात्रा में पोषक तत्वों का सेवन जो हड्डियों के साथ ही पूरे स्वास्थ्य को बनाएं रखने में मदद कर सकती हैं।

मोटापा बन सकता है गंभीर बीमारी का कारण

मोटापा हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। ये सभी बीमारियां जीवन की गुणवत्ता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। एक्सपर्ट बताते हैं कि जब 65 से 74 वर्ष की आयु के लोगों की बात आती है, तो 36.2 प्रतिशत पुरुष और 40.7 प्रतिशत महिलाएं मोटापे से ग्रस्त हैं, जिसे 30 या उससे अधिक के बॉडी मास इंडेक्स के रूप में परिभाषित किया गया है। जो यह संकेत देता है कि एक वृद्ध व्यक्ति पहले की तरह ऊर्जावान या मोबाइल नहीं है।

वृद्धावस्था में दिल की बीमारी से रहें सावधान

आंकड़ों के अनुसार, हृदय रोग एक पुरानी बीमारी है जो 26% महिलाओं और 37% पुरुषों को 65 या उससे अधिक उम्र में प्रभावित करती है। स्ट्रोक, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसे कारक हृदय रोग के विकास की संभावना को बढ़ाते हैं। ऐसे में स्वस्थ रहने के लिए नियमित शारीरिक गतिविधि करने के साथ ही संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए। धूम्रपान बंद करने और वजन कम करने जैसी अच्छी जीवनशैली की आदतों को अपनाएं। साथ ही वृद्ध रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें, ताकि आपको यह सीखने में मदद मिल सके कि किसी भी पुरानी बीमारी को बेहतर तरीके से कैसे प्रबंधित किया जाए।

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