चंडीगढ़। तेजपाल। विधानसभा चुनाव से पहले शिरोमणि अकाली दल को सोमवार को बड़ा झटका लगा। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने नशे के मामले में फंसे वरिष्ठ अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया की अग्रिम जमानत अर्जी रद्द कर दी है। अब मजीठिया पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है।
हाईकोर्ट ने पहले दी थी अंतरिम जमानत
इससे पहले पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने 18 जनवरी को इस मामले में बिक्रम मजीठिया को मिली अंतरिम जमानत को 24 जनवरी तक बढ़ा दिया था। उस समय मजीठिया के वकील के कारोना पॉजिटिव होने के चलते सुनवाई टाली गई थी। पंजाब सरकार ने इस पर कोई आपत्ति नहीं की थी। इस दौरान पंजाब सरकार ने बताया कि मजीठिया जांच में शामिल तो हो गए हैं लेकिन वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि अगली सुनवाई पर बहस नहीं की गई तो अंतरिम जमानत का आदेश वापस ले लिया जाएगा।
बीस दिसंबर को दर्ज की गई थी एफआईआर
मजीठिया के खिलाफ 20 दिसंबर को पंजाब पुलिस ने नशे की तस्करी के आरोप में विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज की थी। उसके बाद से मजीठिया लापता चल रहे थे। पुलिस ने कई जगह छापे मारे लेकिन वह पुलिस के हाथ नहीं आए। हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में मजीठिया ने कहा कि उनके खिलाफ एफआईआर राजनीतिक दुर्भावना और रंजिश के तहत दर्ज करवाई गई है।
सत्ताधारी दल ने चुनाव में इसका फायदा उठाने के लिए ऐसा किया है। वहीं पंजाब सरकार की ओर से कहा गया कि यह केस तथ्यों के आधार पर दर्ज किया गया है और मजीठिया से पूछताछ जरूरी है। पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट से अपील की है कि मजीठिया की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज किया जाए। मजीठिया की ओर से मुकुल रोहतगी और पंजाब सरकार के लिए सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट पी चिदंबरम ने बहस की थी।