SC का बड़ा फैसला-मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत आरोपी की गिरफ्तारी गलत नहीं, ED अपना काम कर रही

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के संवैधानिक वैधता को बरकरार रखने वाला फैसला सुनाया। जस्टिस ए. एम. खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी जस्टिस सी. टी. रविकुमार की पीठ ने इस कानून को चुनौती देने वाली 241 याचिकाओं की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने आरोपी की गिरफ्तारी, तलाशी, कुर्की जब्ती अधिकार समेत कई प्रावधानों को उचित ठहराया है।

पीठ ने हालांकि, कहा कि साल 2019 में संसद द्वारा PMLA में संशोधन को (धन विधेयक के रूप में लागू करने को चुनौती देने के मामले में ) सात न्यायाधीशों की एक बड़ी पीठ द्वारा निर्णय लिया जाना है। यह मामला पहले ही उस पीठ के समक्ष लंबित है।
PMLA के कई प्रावधानों को याचिकाकर्ताओं ने असंवैधानिक बताते हुए कोर्ट में इसे चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि गिरफ्तारी के आधार या सबूत के बिना आरोपी को गिरफ्तार करने की अनियंत्रित शक्ति असंवैधानिक है। कोर्ट ने इससे पहले PMLA के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। PMLA के खिलाफ याचिका डालने वालों में कार्ति चिदंबरम और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती सहित अन्य कुछ लोग शामिल हैं।

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