विराट कोहली-रवि शास्त्री की जोड़ी टूटने के बाद इन खिलाड़ियों पर टीम से बाहर होने का ‘खतरा’

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नई दिल्ली. भारतीय क्रिकेट अब बदलाव के दौर से गुजर रहा है. दुबई में सोमवार को खेला गया भारत और नामीबिया के बीच टी20 वर्ल्ड कप (T20 World Cup-2021) के सुपर-12 चरण का मैच इस बदलाव की शुरुआत कहा जा सकता है. भारतीय टीम का यह टी20 वर्ल्ड कप के मौजूदा सीजन का आखिरी मैच रहा. रवि शास्त्री (Ravi Shastri) और विराट कोहली (Virat Kohli) की कोच-कप्तान की जोड़ी भी साथ में आखिरी मैच खेलने उतरी थी यानी अब यह जोड़ी टूट गई है. रवि शास्त्री के साथ-साथ सपोर्ट स्टाफ के कई सदस्यों का कार्यकाल भी खत्म हो गया. वहीं, विराट ने टी20 फॉर्मेट के आखिरी बार टीम इंडिया की कमान संभाली. अब यह माना जा रहा है कि रवि शास्त्री और विराट कोहली की जोड़ी टूटने से कुछ बड़े बदलाव भारतीय क्रिकेट में देखने को मिलेंगे.

रवि शास्त्री के बाद अब दिग्गज राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) इस अहम पद को संभालेंगे. शास्त्री के अलावा गेंदबाजी कोच भरत अरुण और फील्डिंग कोच आर श्रीधर का कार्यकाल भी खत्म हो गया. भारतीय टीम टी20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल की रेस से बाहर हो गई, नहीं तो उनका कार्यकाल थोड़े दिन और चल सकता था. इन सभी का कार्यकाल टी20 वर्ल्ड कप की समाप्ति तक ही था. अब देखना दिलचस्प होगा कि आखिर विराट और शास्त्री की जोड़ी टूटने के बाद भारतीय क्रिकेट में क्या बदलाव देखने को मिलेंगे.

35 साल के रविचंद्रन अश्विन के पास काफी अनुभव है लेकिन सफेद गेंद के फॉर्मेट में उनका आगे ज्यादा दिन खेलना मुश्किल ही है. उन्हें टी20 वर्ल्ड कप-2021 के 5 में से 3 ही मैचों में जगह दी गई थी. हालांकि उन्होंने प्रभावित किया और कुल 6 विकेट लिए लेकिन वह पिछले 4 साल से वनडे टीम में जगह नहीं बना पाए हैं.

भुवनेश्वर कुमार पिछले कुछ वक्त से चोट से जूझ रहे हैं. उन्होंने टी20 वर्ल्ड कप में हिस्सा तो लिया लेकिन केवल 1 ही मैच खेलने को मिला. वह पाकिस्तान के खिलाफ मैच के लिए प्लेइंग-XI में चुने गए लेकिन कोई विकेट नहीं ले पाए. इसके बाद उन्हें अगले 4 मैचों के लिए टीम में शामिल ही नहीं किया गया. टीम मैनेजमेंट मोहम्मद शमी का विकल्प भी ढूंढने पर काम कर सकता है. वह 31 साल के हैं और अच्छे रंग में नजर आ रहे हैं लेकिन तीनों फॉर्मेट में उनका लगातार खेल पाना मुश्किल है. उन्होंने टी20 वर्ल्ड कप में पांचों मैच खेले लेकिन विकेट केवल 2 ही मैचों में मिले, वह भी अफगानिस्तान और स्कॉटलैंड के खिलाफ. पाकिस्तान, न्यूजीलैंड और नामीबिया के खिलाफ वह कोई सफलता हासिल नहीं कर पाए थे.

इनमें एक नाम हार्दिक पंड्या का भी कहा जा सकता है. दरअसल, वह सर्जरी के बाद से गेंदबाजी करने से बचते नजर आए हैं. आईपीएल में भी उन्होंने गेंदबाजी नहीं की थी. इतना ही नहीं, पाकिस्तान के खिलाफ अहम मैच में वह बल्ले से भी फ्लॉप साबित हुए. ऐसे में इतना तो तय है कि यदि वह गेंदबाजी नहीं करते हैं तो लंबे समय तक टीम में बने रहना उनके लिए मुश्किल हो सकता है. फिर शार्दुल ठाकुर जैसे खिलाड़ी भी रेस में हैं जो टेस्ट फॉर्मेट में एक ऑलराउंडर की भूमिका अच्छे से निभा चुके हैं. शार्दुल ने 6 टेस्ट पारियों में से 3 में अर्धशतक जमाए हैं. यदि उन्हें सफेद गेंद के फॉर्मेट में उतारा जाता है और राहुल द्रविड़ जैसे दिग्गज उन पर मेहनत करते हैं तो जाहिर तौर से वह एक बेहतर विकल्प साबित हो सकते हैं.

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