होशियारपुर। फ़िल्मी जगत। प्रकाश राज हाल ही में OTT में रिलीज हुई फिल्म जय भीम में हिंदी में बोलने के लिए एक व्यक्ति को थप्पड़ मारने के विवाद में फंस गए थे। कई लोगों को लगा कि यह विशेष दृश्य हिंदी भाषी लोगों के खिलाफ है। अब एक इंटरव्यू में प्रकाश राज ने इस विवाद पर अपना रिएक्शन दिया है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को जय भीम के सीन से दिक्कत है, मैंने उनके एजेंडे को बेनकाब कर दिया है।
लोगो ने आदिवासियों की पीड़ा नहीं देखी
मीडिया से बात करते हुए, प्रकाश राज ने कहा, “जय भीम जैसी फिल्म देखने के बाद, लोगों ने आदिवासी लोगों की पीड़ा नहीं देखी, उन्होंने अन्याय के बारे में नहीं देखा और न उनकी समस्या महसूस की। उन्होंने फिल्म में केवल थप्पड़ देखा। उन्हें बस इतना ही समझ में आया। यह उनके एजेंडे को उजागर करता है। फिल्म के उस सीन के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, “उदाहरण के लिए हिंदी पर साउथ इंडियान्स का गुस्सा उन पर थोपा जा रहा है।
एक पुलिस अधिकारी जो किसी मामले की जांच कर रहे हैं, वह कैसे प्रतिक्रिया देगा जब वह जानता है कि स्थानीय भाषा जानने वाला व्यक्ति हिंदी बोलना चुनता है। हिंदी में पूछताछ को चकमा देने के लिए? इसका डॉक्यूमेंटेशन किया जाना है, है ना? फिल्म 1990 के दशक में सेट की गई है। अगर उस कैरेक्टर पर हिंदी थोपी जाती, तो वह इस तरह से रिएक्ट करता। इसलिए भी कि मेरा भी यही सोचना है और मैं उस सोच पर कायम हूं।”
कट्टरपंथियों पर रिएक्ट करने का कोई मतलब नहीं है
प्रकाश राज ने भी महसूस किया कि ऐसे विवादों पर रिएक्ट करने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा, कुछ लोगों के लिए, थप्पड़ वाला सीन ने परेशान कर दिया है। क्योंकि स्क्रीन पर प्रकाश राज था। वे अब मुझसे ज्यादा नग्न दिखाई देते हैं, क्योंकि उनकी मंशा सामने आ गई है। अगर आदिवासी लोगों का दर्द उन्हें नहीं हिला पाया तो, मैं केवल इतना कहता हूं उनाक्कू अव्वलवुथां पुरींजुधा दा, नी थाना अवन? ऐसे कट्टरपंथियों पर रिएक्ट करने का कोई मतलब नहीं है।