नई दिल्ली, न्यूज़ डेस्क । अदालतों में मुकदमों का ढेर लगा है। त्वरित न्याय के लिए जरूरी है कि पर्याप्त संख्या में न्यायाधीश हों। न्याय प्रणाली में सबसे अहम भूमिका न्यायाधीश की होती है और इस वर्ष अभी तक देश के विभिन्न हाई कोर्टों में 110 नए न्यायाधीशों की नियुक्ति हुई है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में भी इस साल एक साथ नौ न्यायाधीशों की नियुक्ति हुई जो एक रिकार्ड है।
देश में कुल 25 हाई कोर्ट हैं जिनमें 56,46,600 मुकदमे लंबित हैं। इनमें 15,72,225 आपराधिक और 40,74,375 दीवानी मामले हैं। 25 हाई कोर्टों में न्यायाधीशों के कुल 1,098 मंजूर पद हैं जिनमें अभी 692 न्यायाधीश काम कर रहे हैं और 406 पद खाली हैं। सूत्रों का कहना है कि 2016 में एक वर्ष में हाई कोर्टो में सबसे अधिक कुल 126 न्यायाधीशों की नियुक्ति हुई थी। इस वर्ष इस रिकार्ड को पार करने की संभावना है।
हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की सिफारिश पर होती है। अभी भी हाई कोर्टों में न्यायाधीशों के 406 पद खाली हैं, अगर न्यायाधीशों की नियुक्ति की यही रफ्तार रही तो जल्द ही रिक्तियों की संख्या और कम होने की उम्मीद है।
आठ अगस्त से एक सितंबर के बीच सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने विभिन्न हाई कोर्टों से आईं करीब सौ संस्तुतियों पर विचार करने के बाद 68 नामों को 12 हाई कोर्टों में न्यायाधीशों के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश सरकार को भेजी थी।
इसके बाद भी कोलेजियम ने और नामों की नियुक्ति की सिफारिश सरकार को भेजी थी। सुप्रीम कोर्ट में भी इस वर्ष एक ही दिन में नौ न्यायाधीशों की नियुक्ति हुई जिनमें तीन महिला न्यायाधीश शामिल हैं। इन न्यायाधीशों ने 31 अगस्त को शपथ ली थी। सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के कुल 34 पद मंजूर हैं जिसमें अभी एक पद खाली है।