ईद-उल-अजहा में जानें बकरीद का महत्व

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नई दिल्ली: बकरीद को ईद-उल-अजहा के नाम से जाना जाता है. यह त्योहार इस्लामिक कैलेंडर के आखिरी महीने जु-अल-हिज्ज में मनाया जाता है. बकरीद रमजान खत्म होने के 70 दिन बाद मनाई जाती है. बकरा ईद के दिन जानवरों की कुर्बानी देने की परंपरा है. इस साल ईद उल अजहा यानी बकरीद 10 जुलाई, रविवार को मनाई जाएगी. आइए जानते हैं कि साल 2022 में बकरीद (Bakrid 2022) यानी ईद-उल-अजहा (Eid al-Adha 2022) कब मनाया जाएगा और इस पर्व का इस्लाम में क्या महत्व है.

इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक बकरीद यानी ईद-उल-अजहा का पर्व जु-अल-हिज्ज महीने के 10वें दिन मनाया जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक इस साल बकरीद 10 जुलाई को मनाया जाएगा. बता दें कि बकरीद का त्योहार चांद दिखने के 10वें दिन मनाया जाता है और ईद उल ज़ुहा या अजहा या बकरीद, ईद उल फित्र के दो महीने, नौ दिन बाद मनाई जाती है.

द-उल-अजहा (Eid Al Adha 2022) यानी बकरीद के दिन मुस्लिम अपने घरों में पहले से पाले हुए बकरे की कुर्बानी देते हैं. जिनके घर बकरा नहीं होता है वे पर्व से कुछ दिन पहले बकरा खरीदकर घर ले आते हैं. इस दिन बकरे की कुर्बानी देने के बाद मीट को तीन हिस्सों में बांटा जाता है. पहला हिस्सा फकीरों को दिया जाता है. वहीं दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों को और तीसरा हिस्सा घर में पकाकर खाया जाता है.

बकरीद (Bakrid) मनाने के पीछे हजरत इब्राहिम के जीवन से जुड़ी हुई घटना का जिक्र किया जाता है. कहा जाता है कि हजरत इब्राहिम खुदा के नेक बंदे थे, वे खुदा पर पूरा भरोसा रखते थे. एक बार हजरत इब्राहिम ने सपना देखा वे अपने बेटे की कुर्बानी दे रहे हैं, जिसको उन्होंने खुदा का संदेश माना. इसके बाद उन्होंने खुदा की इच्छा को मानकर खुदा की राह पर कुर्बानी देने का फैसला लिया. लेकिन, तब खुदा ने उनको अपने बेटे की जगह किसी एक जानवर की कुर्बानी देने का पैगाम दिया. तब उन्होंने खुदा के संदेश को मानते हुए अपने सबसे प्रिय मेमने की कुर्बानी दी. तब से ईद-उल-अजहा के दिन बकरे की कुर्बानी देने की परंपरा शुरु हुई जिसे बकरा ईद (Bakra Eid) यानी बकरीद के नाम से जाना जाता है.

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