सेल्फी का इतिहास: सेल्फी लेने का प्रचलन कब से शुरू हुआ था ?

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आजकल की दुनिया में सेल्फी नाम के शब्द को हर कोई जनता है. सेल्फी के बिना कोई भी फंक्शन पूरा नही होता है. सेल्फी शब्द अंग्रेजी के self शब्द से बना है, इस प्रकार सेल्फी का सीधा सा मतलब स्वयं के द्वारा खींची गयी खुद की तस्वीर से है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सेल्फी लेने की शुरुआत सबसे पहले कहाँ और कब हुई थी.

सेल्फी का शाब्दिक अर्थ क्या है?
सेल्फी शब्द अंग्रेजी के self शब्द से बना है इस प्रकार सेल्फी का सीधा सा मतलब स्वयं के द्वारा खींची गयी खुद की तस्वीर से है.

सेल्फी का इतिहास:

सेल्फी शब्द का पहली बार उपयोग आस्टे्लिया की एक वेबसाइट “forum abc online” ने 13 सितंबर 2002 को किया था. कहा तो यह भी जाता है कि सबसे पहली सेल्फी लेने वाले व्यक्ति अमेरिका के फोटोग्राफर रॉबर्ट कॉर्नेलियस थे जिन्होंने साल 1839 में अपनी खुद की सेल्फी ली थी. रॉबर्ट कॉर्नेलियस ने अपने अपने खुद के कैमरे से अपनी फोटो खींचने की कोशिश की थी. जबकि कुछ अन्य लोगों के अनुसार स्वीडिश आर्ट फोटोग्राफर ऑस्कर गुस्तेव रेजलेंडर ने सन 1850 में दुनिया की पहली सेल्फी ली थी. टाइम पत्रिका ने साल 2012 के अंत में साल के 10 मूल शब्दों में सेल्फी शब्द को स्थान दिया था. ऑक्सफो्र्ड अंग्रेजी शब्दकोश ने सेल्फी शब्द को साल 2013 का “वर्ड ऑफ द इयर” घोषित किया था.
आधुनिक समय में सेल्फी लेने की धमाकेदार शुरुआत 2011 से मानी जाती है जब “नरुटो” नाम के “मकाऊ प्रजाति” के इस बंदर द्वारा इंडोनेशिया में ब्रिटिश वन्यजीव फोटोग्राफर डेविड स्लाटर के कैमरे का बटन दबाकर बंदर ने एक सेल्फी ली थी.

डेविड स्लाटर ने यह सेल्फी अपनी कंपनी “वाइल्ड लाइफ पर्सनेलटीज” के कलेक्शन में छाप दी और इसके बाद कॉपीराइट का दावा किया था; लेकिन पशु अधिकार संगठन पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनीमल्स (पेटा) ने कहा कि ‘नरुटो’ को इस सेल्फी का कॉपीराइट मिलना चाहिए क्योंकि ‘नरुटो’ कोई चीज नहीं बल्कि हस्ती है. इस पर विवाद खड़ा हो गया और मामला अदालत तक गया और अंततः जनवरी 2016 में सैन फ्रांसिस्को के फेडरल कोर्ट ने बंदर को सेल्फी का मालिकाना हक देने से इन्कार कर दिया था. पेटा ने इसे ऊपरी अदालत में चुनौती दी थी. हालांकि इस मामले में कोर्ट का फैसला आने से पहले ही समझौता कर लिया गया था और स्लाटर इस बात पर सहमत हुए कि सेल्फी से उनकी कंपनी को होने वाली आय का 25% हिस्सा इंडोनेशिया में इस प्रजाति के बंदरों के संरक्षण के लिए दान करेंगे.

आत्म घातक सेल्फी
मार्च 2014 से सितंबर 2016 के बीच विश्व में सेल्फी लेते समय हुई विभिन्न घटनाओं में 127 लोगों ने अपनी जान गवाई जिनमे सबसे अधिक 76 मौतें भारत में हुई हैं.
तो इस प्रकार आपने पढ़ा कि सेल्फी को लोकप्रिय बनाने में किसी इंसान का नही बल्कि एक बन्दर का अहम् योगदान है. उम्मीद है कि आपको यह इतिहास पसंद आया होगा.

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