हिंदी सिनेमा ने खोया एक और नायाब सितारा – नहीं रहे मनोज कुमार

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मुंबई। हिंदी सिनेमा जगत के दिग्गज अभिनेता और निर्देशक मनोज कुमार का 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में अंतिम सांस ली। मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, उनकी मौत मायोकार्डियल इन्फार्क्शन के कारण हुए कार्डियोजेनिक शॉक से हुई। इसके अलावा, वे पिछले कुछ महीनों से डीकंपेंसेटेड लिवर सिरोसिस से भी जूझ रहे थे।

‘भारत कुमार’ के नाम से मिली पहचान
1937 में अबोटाबाद (ब्रिटिश भारत, अब पाकिस्तान) में जन्मे हरिकृष्ण गोस्वामी ने हिंदी सिनेमा में मनोज कुमार के नाम से अपनी पहचान बनाई। उन्होंने 1957 में ‘फैशन’ से अपने करियर की शुरुआत की और ‘कांच की गुड़िया’ से पहचान बनाई। इसके बाद ‘उपकार’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’, ‘संन्यासी’ और ‘क्रांति’ जैसी देशभक्ति से ओतप्रोत फिल्मों के जरिए वे ‘भारत कुमार’ के नाम से प्रसिद्ध हो गए।

देशभक्ति को दी नई पहचान
मनोज कुमार की फिल्मों में देशप्रेम की झलक हमेशा देखने को मिली। ‘उपकार’ में एक किसान, ‘पूरब और पश्चिम’ में एक देशभक्त और ‘क्रांति’ में क्रांतिकारी की भूमिका निभाकर उन्होंने हिंदी सिनेमा में देशभक्ति को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

सम्मानों से सुशोभित रहा सफर
मनोज कुमार न सिर्फ एक बेहतरीन अभिनेता थे, बल्कि शानदार निर्देशक भी रहे। उनके योगदान को सम्मानित करते हुए 1992 में उन्हें पद्म श्री और 2015 में सिनेमा जगत के सर्वोच्च सम्मान ‘दादासाहेब फाल्के पुरस्कार’ से नवाजा गया।

उनकी अदाकारी और देशभक्ति की भावना को दर्शकों ने हमेशा सराहा, और उनका योगदान हिंदी सिनेमा में अमर रहेगा।

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