कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी समेत 69 लोगों की हुई थी हत्या
– 28 फरवरी 2002 को गुलबर्ग सोसाइटी में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी समेत 69 लोगों की हत्या कर दी गई थी।
– इस मामले में कुल 66 आरोपियों में से छह की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई। 24 दोषियों में से 11 पर हत्या का आरोप लगाया गया है।
– कोर्ट ने अपने फैसले में विहिप नेता अतुल वैद्य समेत 13 अन्य आरोपियों को हल्के अपराधों का दोषी ठहराया।
कोर्ट ने क्या कहा?
– फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा था, ‘इस मामले में आपराधिक साजिश का कोई सबूत नहीं है और आईपीसी की धारा 120 बी के तहत आरोप हटा दिए थे।’
– कोर्ट ने जिन लोगों को बरी किया, उनमें बीजेपी के मौजूदा कॉर्पोरेटर (पार्षद) बिपिन पटेल, तब के पुलिस इंस्पेक्टर केजी अर्डा और कांग्रेस के पूर्व कॉर्पोरेटर मेघ सिंह चौधरी हैं।
– 2002 के गुजरात दंगों के ये मामला उन नौ मामलों में से एक है जिसकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी ने जांच की थी। यह घटना साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एस-6 डिब्बे में गोधरा स्टेशन के पास आग लगाए जाने के एक दिन बाद हुई थी।
जाकिया जाफरी ने क्यों कहा- अधूरा इंसाफ
– पूर्व सांसद अहसान जाफरी की वाइफ जाकिया जाफरी ने कहा- “अभी आधा इंसाफ मिला है। मैं खुश भी हूं और दुखी भी हूं।”
– “कोर्ट ने 36 लोगों को छोड़ दिया है। इसके लिए मैं आगे लड़ाई लडूंगी और मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाऊंगी।”
– ”करीब 15 बाद फैसला आया है। मुझे खुशी है कि 24 दोषी करार दिए गए हैं, लेकिन 36 को छोड़ दिया गया।”
कौन थे जाफरी?
– अहसान जाफरी मूल रूप से मप्र के बुरहानपुर के रहने वाले थे। इमरजेंसी के बाद हुए लोकसभा चुनाव में वह सांसद चुने गए थे।
– हत्याकांड से पहले अहमदाबाद के पुलिस कमिशनर पी सी पांडे गुलबर्ग सोसाइटी पहुंचकर पूर्व सांसद जाफरी से मिले और उनके परिवार को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने की बात कही, लेकिन सोसाइटी के दूसरे लोग भी जाफरी के घर आकर जमा हो गए। इसलिए जाफरी ने उन लोगों को छोड़कर जाने से इनकार कर दिया था।
– यह जानकारी उनकी पत्नी जाकिया जाफरी ने कोर्ट में अपने बयान में दी थी।
मोदी पर भी आरोप लगे थे, एसआईटी ने क्लीनचिट दी थी
इस मामले में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी आरोप लगे थे। 2010 में उनसे पूछताछ हुई थी। बाद में एसआईटी ने क्लीनचिट दे दी।
क्या गुलबर्ग सोसाइटी केस?
– सुप्रीम कोर्ट की देख-रेख में बनी एसआइटी ने गुलबर्ग सोसायटी मामले में 66 लोगों को अरेस्ट किया था।
– अरेस्ट लोगों में नौ बेल पर थे, जबकि बाकी 14 साल से जेल में हैं। 4 की मौत हो गई है। एसआइटी ने मामले में 335 विटनेस और 3000 डॉक्युमेंट्स पेश किए।
– गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड गुजरात दंगों के 10 बड़े दंगों में है।
– इस हत्याकांड में 28 फरवरी, 2002 को 39 लोगों के शव गुलबर्ग सोसाइटी में मिले थे। बाकी 30 लोगों के शव नहीं मिलने पर 7 साल बाद उन्हें डेड मान लिया गया।