चंडीगढ़ : कोटकपूरा में हुई बेअदबी की घटना के बाद सिख जत्थेबंदियों के प्रदर्शन के दौरान बहबलकलां में हुई पुलिस फायरिंग की घटना को लेकर दर्ज हुई एफ.आई.आर. में शामिल पूर्व डी.जी.पी. सुमेध सिंह सैनी, बर्खास्त आई.जी. परमराज उमरानंगल सहित सभी 9 आरोपियों को पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने बड़ा झटका देते हुए कोई भी राहत देने से इंकार कर दिया है।
जस्टिस राजमोहन सिंह की कोर्ट ने सभी याचिकाओं का एक साथ निपटारा करते हुए कहा कि कोटकपूरा कांड व बहबल कलां गोलीकांड को लेकर जांच के लिए बनाई गई एस.आई.टी. और जांच आयोगों में असमंजस देखने को मिला है और कोई भी जांच अभी तक किसी ठोस निर्णय तक नहीं पहुंच पाई है।
हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं आरोपियों की ओर से दाखिल हुई हैं, जिनमें कई तरह के आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं। जांच एजेंसियां भी असमंजस की स्थिति में हैं जबकि अभी तक ट्रायल कोर्ट में चार्ज भी फ्रेम नहीं हुए है इसलिए जिस याचिकाकर्ता को जो भी दलीलें देनी हैं, वह चार्ज फ्रेम होने के बाद ट्रायल कोर्ट के समक्ष रखें।
आदेशों में कोर्ट ने अब तक गठित हुई पुलिस की जांच टीमों और जांच के लिए बने आयोगों की ओर से की गई जांच और उनकी पेश की गई रिपोर्ट्स का भी जिक्र किया है, जिनमें कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है। कोर्ट ने ए.डी.जी.पी. एल.के. यादव के नेतृत्व में कोटकपूरा कांड की जांच को बानी एस.आई.टी. को जांच जारी रखने को कहा है और जल्द जांच पूरी कर ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश करने के आदेश दिए हैं।
साथ ही आई.जी. नौनिहाल सिंह की देखरेख में बहबलकलां गोलीकांड की जांच को बनी एस.आई.टी. को भी कोटकपूरा कांड की जांच में सामने आए तथ्यों को लेकर बहबलकलां गोलीकांड की जांच करने के आदेश दिए हैं। अंतिम जांच रिपोर्ट भी ट्रायल कोर्ट में जमा करवाने को कहा है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी भी आरोपी को ट्रायल कोर्ट में अपना पक्ष रखने की छूट दी जाती है जोकि आरोप तय होने पर अपनी सफाई में दलील पेश कर सकता है। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को भी आदेश दिए हैं कि सभी केसों को प्राथमिकता के आधार पर एक साथ सुना जाए ताकि लंबित पड़े इस मामले को अंजाम तक पहुंचाया जा सके।