जयपुर। बिहार में टॉपर्स की कलई कैसे खुली ये पूरे देश ने देखा लेकिन ये कहानी और भी दिलचस्प है। कोर्ट की लंबी कानूनी लड़ाई जीतने के बाद रिटायर्ड आईएएस को 47 साल बाद राजस्थान यूनिवर्सिटी टॉपर घोषित किया गया।
सुनने में अजीब लग सकता है लेकिन 81 साल के हो चुके पूर्व आईएएस अजीत सिंह सिंघवी अब राजस्थान यूनिवर्सिटी के 1969 बैच के टॉपर घोषित कर दिये गए हैं।
राजस्थान यूनिवर्सिटी टॉपर बनने में लगे 47 साल
दरअसल यूनिवर्सिटी उनके पहले और फाइनल ईयर के मार्क्स जोड़ नहीं रही थी। केवल फाइनल ईयर के मार्क्स के आधार पर उनकी क्लास में दूसरी पोजिशन थी। उनका कहना था कि दोनों साल के नंबरों को जोड़कर देखा जाए तो वो क्लास में टॉपर थे।
जब यूनिवर्सिटी ने उनकी बात नहीं मानी तो वो ये लड़ाई कोर्ट में ले गए। कोर्ट से तारीख पर तारीख मिलने के 47 साल बाद वो तारीख आ ही गई जब उनको राजस्थान यूनिवर्सिटी का टॉपर घोषित कर दिया गया।
वीसी से मिला गोल्ड मेडल
गुरुवार को राजस्थान यूनिवर्सिटी के वीसी जेपी सिंघल ने अजीत सिंह सिंघवी को गोल्ड मेडल दिया और उनके 1969 बैच का टॉपर घोषित कर दिया।
सिंघवी का कहना है कि वो जानते थे कि वही राजस्थान यूनिवर्सिटी टॉपर हैं। इसलिए वो अब इस बात से हैरान नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी का इतना आसान से केस को सुलझने में 47 साल और तकरीबन 300 सुनवाई लग गई।
सिंघवी ने कहा कि इस केस से मुझे एक सीख मिली है या तो आप न्याय के लए लड़े या फिर अन्याय सहे। ये मेरे जीवन के 47 साल बर्बाद होने की दास्तान नहीं है बल्कि 47 साल बाद मिले न्याय की कहानी है।
सिंधवी के दिल में देर से न्याय मिलने की कसक
शुरूआत में 2 वकीलों ने सिंधवी के केस की पैरवी की थी लेकिन बाद में वो खुद अपना मुकदमा लड़ रहे थे। सिंधवी अब केस जीत चुके हैं और राजस्थान यूनिवर्सिटी टॉपर बन चुके हैं लेकिन न्याय मिलने में देरी की कसक उनके दिल में है।
उन्होंने कहा कि देश में न्याय गरीब और आम आदमी के लिए नहीं है। कुछ दिनों में ये गरीबों के हाथ से पूरी तरह निकल जाएगा। मैं अपना केस केवल इसलिए लड़ पाया क्योंकि मैं वकील के परिवार से संबंध रखता हूं।