श्री राम कथामृत के दूसरे दिन भगवान श्री राम के जन्म और उनकी लीलाओं का प्रसंग सुन श्रद्धालु हुए मंत्रमुग्ध

    0
    156

    होशियारपुर (शाम शर्मा ): श्री भगवान परशुराम सेना द्वारा केशो मंदिर होशियारपुर  में सात दिवसीय श्री राम कथामृत का भव्य आयोजन जिलाध्यक्ष आशुतोष शर्मा के नेतृत्व में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के सहयोग से किया जा रहा है। श्री राम कथामृत के दूसरे दिन मुख्य यजमान विरजेश चंद्र गुप्ता (विजय ब्राईडल गैलरी), प्रिं आरती सूद मेहता थे। जबकि ज्योति प्रज्जवलित करने की रस्म पूर्व सांसद संतोष चौधरी, जिलाध्यक्ष आशुतोष शर्मा, साध्वी रूक्मणि भारती, राजिंदर मैडी, डा. रूपिंदर बेदी, ने अदा की।
    दूसरे दिन की श्री राम कथा को आगे बढ़ाते हुए साध्वी गरिमा भारती ने समस्त धार्मिक ग्रन्थों के समन्वय से युक्त इस भव्य आयोजन मे प्रभु के जन्म एवं उनके जीवन की लीलाओं के भीतर छिपे हुए आध्यात्मिक रहस्यों को उजागर किया। जो केवल मात्र प्रभु की जीवन गाथा व ग्रन्थों की चौपाईयों का सरसपूर्ण गायन नहीं वरन् एक विश्लेषणात्मक आध्यात्मिक अंतर दृष्टि से परिपूर्ण प्रभु के अवतरण व प्राकट्य कि दिव्य रहस्यों को परिलक्षित करता प्रसंग है। साध्वी गरिमा भारती ने अपने प्रवचनों में बताया कि श्री रामचरितमानस की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने चाहे कितने ही वर्ष पूर्व क्यों न की हो परन्तु धर्म स्थापना के जिस संदेश को वह धारण किए हुए है। वह हर युग, काल व देश की सीमाओं से परे हैं व वर्तमान युग की समस्त समस्याओं का निवारण प्रस्तुत करता हैं। संसार में नाना प्रकार के रोग, शोक, जन्म, मृत्यु इत्यादि में पड़े काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार में अन्धें हो चुके मानव को सन्मार्ग पर लाने के लिए प्रभु अवतीर्ण होतेे है। उपद्रव को शांत करने हेतु नित्यधाम से अनुरूप हो कार्य को संपादित करने हेतु जन्म लेते हैं।
    उन्होंने प्रभु के अवतरण के संबंध में बताते हुए कहा कि प्रभु श्री राम जग पालक व सृष्टि के नियामक तत्व हैं। जो साकार रूप धारण कर अयोध्या में अवतरित होते हैं। निराकार परमात्मा धर्म की स्थापना के लिए साकार रूप धारण करता है। वह प्रत्येक मानव को उसके घट के भीतर ही अपने निराकार रूप का साक्षात्कार करवा देते हैं। प्रभु श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ। साध्वी जी ने बताया कि अयोध्या हमारे मानव तन का प्रतीक है। जिसमें राम रूपी ईश्वर का वास है व जिसमें प्रभु का दर्शन संभव है। क्योंकि ईश्वर का अपने अंत:करण में दर्शन किए बिना मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती। उन्होनें बताया कि माता कौशल्या ने अपने घट में ही प्रभु के चतुर्भज रूप में दर्शन किए हैं। साध्वी जी ने अपने ओजस्वी बाणी से कहा कि आप भी अपने भीतर ऐसा अनुभव एक सतगुरू की कृपा से कर सकते है।
    साध्वी जी ने राम जी  की गुरूकुल शिक्षा की और इंगित करते हुये कहा कि शिक्षा मानव के लिये अतिआवश्यक है पर मात्र शिक्षा कभी पूर्ण व्यक्तिव का निर्माण नहीं कर सकती । उसके लिये हमें अपनी गुरूकुल की परिपाटी का पालन करते हुये शिक्षा के साथ साथ दीक्षा के समन्वय को अपनाना होगा तभी मानव अपना पूर्ण विकास कर पायेगा। ओर दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से शिक्षा और दीक्षा के समन्वय को साकार कर बच्चों के व्यक्तिव निमार्ण के लिये एक प्रोजक्ट चलाया जा रहा है जिसका नाम है मंथन। मंथन एक ऐसा कार्यक्रम है कि जिसमें गरीब बच्चों को शिक्षा और दीक्षा से समाज की उतरदायी इकाई बनाया जाता है।
    इस भव्य राम कथा आयोजन में संस्थान की ओर से अन्य साध्वियाँ भी अपने बाद्य वंृद समूह के साथ विशेष रूप से पधारी हैं। जिनके द्वारा प्रभु श्री राम की इस कथा को श्री रामचरित मानस की सुमधर चौपाईयों के गाायन और समस्त धार्मिक  ग्रन्थों के समन्वय से प्रस्तुत किया जा रहा है। दूसरे दिन भी भगवान श्री परशुराम सेना की और से श्रद्धालुओं के लिए लंगर की व्यवस्था की गई जिसमें हजारों लोगों ने लंगर का प्रसाद ग्रहण किया।
    आरती में विशेष रूप में स्वामी सज्जानानंद जी, साध्वी रुक्मणि भारती, साध्वी शिप्रा भारती, साध्वी धर्मा भारती, एडवोकेट सुनील पराशर अध्यक्ष ब्राह्मण सभा प्रगति संजीव शर्मा अनुराग कालीया, मुकेश शर्मा, पवन पासन, अश्वनी छोटा, प्रिंस कुमार, प्रिंस विज, अश्वनी शर्मा, सुरिंदर कुमार बिटन,  नीतिश मनोचा, श्रीमति विजय लक्ष्मी प्रधान महिला विंग, श्रीमति वनीता शर्मा, श्रीमति प्रिंयका, रजनी बाला,  हरीश कुमार, दीपक पराशर ,श्री भगवन परशुराम सेना के सभी सदस्य, हिंदू संघ तथा शहर के गणमान्य लोग भी मौजूद थे। आरती के बाद दूसरे दिन की श्री राम कथा विश्रामित की गई।
    ——————-

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here